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यूपी बोर्ड परीक्षा : गुरूजी पास कर दो नहीं तो सात फेरे नहीं हो पाएंगे

इन दिनों यूपी बोर्ड की कॉपियां चेक की जा रही हैं. कुछ ऐसी कॉपियां भी मिल रही हैं जिनमें पास होने के लिए सवालों के जवाब के अलावा छात्र भावुक अपील भी कर रहे हैं.

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Published : Apr 27, 2022, 9:03 PM IST

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यूपी बोर्ड परीक्षा

मेरठ : इन दिनों यूपी बोर्ड की कॉपियां चेक की जा रही हैं. कुछ ऐसी कॉपियां भी मिल रही हैं जिनमें पास होने के लिए सवालों के जवाब के अलावा छात्र भावुक अपील भी कर रहे हैं. कोई लिख रहा है गुरुजी पास कर दो नहीं तो सात फेरे नहीं होंगे. वहीं, कोई गुरुजी से निवेदन कर रहा है कि वे पास लर दें उनके नंबर पर गूगल पे से पैसे भेज दिए जाएंगे तो कोई परीक्षा कॉपी में पैसे ही रख कर निवेदन कर रहा है कि पास कर दें. यानी स्टूडेंट्स नंबर पाने के लिए हर तरह के टोटके का इस्तेमाल माल करते हुए नजर आ रहे हैं.

यूपी बोर्ड परीक्षा

किसी भी परीक्षा में सफलता पाने का सिर्फ एक ही विकल्प है कि ईमानदारी से कोशिशें की जाएं. इन दिनों ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं जिनमें परीक्षा में सफल होने के लिए छात्र अजब-गजब अपील कर रहे हैं. यूपी बोर्ड परिक्षाओं के बाद अब 23 अप्रैल से मूल्यांकन का कार्य प्रदेशभर में जारी है. ऐसे में मेरठ में भी पांच केंद्रों पर मूल्यांकन की प्रक्रिया चल रही है. कॉपी चेक कर रहे अध्यापकों के सामने परीक्षार्थियों की अजब-गजब अपील पढ़ने को मिल रही हैं. कोई परीक्षार्थी कॉपी चेक करने वाले शिक्षक को लालच दे रहा है तो कोई इमोशनल होकर भावुक अपील कर रहा है.

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मेरठ में यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियों को चेक करने वाली अध्यापिका बताती हैं कि एक कॉपी में तो एक छात्रा ने बेहद ही गंभीर अपील की. वो बताती हैं कि छात्रा ने परीक्षा कॉपी में लिखा कि उसकी शादी एक अच्छे परिवार में होने जा रही है. शादी पक्की हो चुकी है. लिहाजा उसे पास करने का कष्ट करें नहीं तो रिश्ता टूट भी सकता है. यानी सात फेरे न होने का डर भी अपनी भावुक अपील में छात्राएं करती हैं.

एक मूल्यांकन केंद्र पर यूपी बोर्ड परीक्षाओं की कॉपी चेक कर रहीं अध्यापिका बतातीं हैं कि बच्चे तो बच्चे ही होते हैं. वे बताती हैं कि जब किसी कॉपी में इस तरह की अपील की जाती है जो ज्यादा गंभीर नहीं होते बल्कि मूल्यांकन कक्ष में मौजूद अध्यापक आपस में हंस लेते हैं गुदगुदा लेते हैं. उन्होंने बताया कि कॉपियों में कई बार ऐसा भी होता है कि रुपये भी रखे मिल जाते हैं. टीचर्स बताते हैं कि ऐसे मामलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बुलाकर चाय नास्ता मंगा लिया जाता है. वहीं, जब पैसे ज्यादा मिलते हैं तो स्कूल खुलने में किसी जरूरतमंद की फीस जमा करने में उन पैसों का इस्तेमाल कर लिया जाता है. टीचर्स कहते हैं कि इन सब बातों को लेकर ज्यादा गंभीर कोई नहीं होता. नंबर उतने ही दिए जाते हैं जितने नंबर के उस स्टूडेंट ने कॉपी में सवालों के सही जवाब दिए होते हैं.

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