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मेरठ: बिना मदिरा के नहीं खड़ा होता रावण का पुतला, जानिये क्या है परंपरा - बिना शराब के नहीं होता रावण दहन

मेरठ में रावण दहन की परंपरा है. मगर इस परंपरा के अनुसार बिना मदिरा के रावण के पुतले नहीं खड़े किये जाते. मान्यता है कि गड्ढों में बिना मदिरा के खड़े किए गए रावण, कुंभकरण के पुतले गिर जाते हैं. मेरठ को रावण की ससुराल मानी जाती है.

बिना मदिरा के नहीं खड़ा होता रावण का पुतला
बिना मदिरा के नहीं खड़ा होता रावण का पुतला

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Published : Oct 25, 2020, 4:51 PM IST

मेरठ: जिले में रावण दहन की तैयारी काफी जोर शोर से चल रही है, लेकिन क्या आपको पता है कि रावण का पुतला खड़ा करने से पहले क्या करना होता है. अगर ये कार्य नहीं करेंगे तो रावण का पुतला खड़ा कर पाना असंभव है. ये दावा मेरठ छावनी राम लीला कमेटी के कोषाध्यक्ष ने किया है.

बताया जाता है कि रावण का पुतला खड़ा करने से पहले गड्डो में शराब यानी मदिरा डाली जाती है, जिसके बाद पुतले खड़े हो पाते हैं. ऐसा नहीं करने पर रावण, मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले खड़े करते ही जमीन पर गिर जाते हैं. ये पुतले उस स्थान पर खड़े किए जा रहे है, जहां कभी मंदोदरी तालाब में स्नान किया करती थीं और रावण से पहली मुलाकात हुई थी.

गड्डों में शराब के बिना नहीं खड़े होते रावण के पुतले
कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद भी दशहरे की धूम चौतरफा देखी जा रही है. जहां नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा के साथ भक्तिमय माहौल बना हुआ है, वहीं दशहरे के मौके पर दहन के लिए रावण के पुतले भी बनाये जा रहे. लंकापति रावण का ससुराल मेरठ मानी जाती है, इसलिए मेरठ में भी रावण दहन की तैयारियां चल रही हैं. जिले के भैसाली मैदान में रावण के पुतले खड़े होने से पहले शराब की मांग की जाती है. गड्ढों में शराब डालने के बाद ही पुतले खड़े किए जाते हैं.

राक्षस जाति में प्राचीन परंपरा रही मदिरा सेवन
शास्त्रों के मुताबिक, मदिरा का सेवन करना राक्षस जाति में प्राचीन परंपरा रही है. मदिरा सेवन राक्षसों का प्रमुख एवं पसंदीदा पान माना गया है. मान्यता है कि मदिरा सेवन के बाद राक्षसों में जान आ जाती थी. शराब पीने के बाद राक्षस न सिर्फ जंगलों में निकल जाते थे, बल्कि शिकार भी करते थे.

लंकापति रावण राक्षस के साथ विद्वान ब्राह्मण भी थे, क्योंकि रावण की माता राक्षस और पिता ब्राह्मण थे. मां का अंश होने के कारण रावण मदिरा सेवन किया करते थे. यही वजह हैं कि रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले भी मदिरा की मांग कर रहे हैं.

रामलीला कमेटी पदाधिकारी मनीष गोयल ने बताया कि यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. जब तक रावण के पुतले खड़े करने के लिए खोदे गए गड्ढों में शराब नहीं डाली जाती, तब तक ये पुतले खड़े नहीं होते. ऐसा नहीं करने से ये गिर जाते हैं या फिर बीच में से मुड़ जाते हैं, इसलिए गड्ढों में शराब डाली जाती है. इसके बाद रामलीला में रावण वध के बाद इन पुतलों का दहन किया जाएगा.

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