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पैरोल पर जेल से बाहर नहीं जाना चाहता कैदी, बोला-यहीं रहने दो हुजूर - Crorna Infection

मेरठ जेल में बंद एक कैदी पैरोल (Parole) मिलने के बाद भी बाहर नहीं आना चाहता है. कैदी का कहना है कि कोरोना काल (Covid period) में बाहर जाने से अच्छा है उसे यहीं रुकने दिया जाए. वो खुद को जेल में सुरक्षित मानकर चल रहा है.

पैरोल पर जाने से दो कैदियों ने किया इनकार
पैरोल पर जाने से दो कैदियों ने किया इनकार

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Published : May 30, 2021, 11:12 AM IST

मेरठ: कोरोना संकट के बीच जेलों से कैदियों को रिहा किया जा रहा है, लेकिन मेरठ जेल से पैरोल (Parole) मिलने पर भी एक कैदी ने घर जाने से मना कर दिया. दहेज (Dowry case) प्रकरण में सजायाफ्ता कैदी ने दो माह की पैरोल मिलने के बाद भी जेल में ही रहने की जिद्द पकड़ी हुई है. मेरठ जेल में पहली बार ऐसा हुआ है, जब कोई कैदी कोरोना संक्रमण के डर से जेल की सलाखों के पीछे ही रहना चाहता है. कैदी का मानना है कि वो कोरोना संक्रमण (Crorna Infection) से जितना सुरक्षित जेल में है, बाहर उतना ही खतरा है. हालांकि, जेल प्रशासन उसे दो माह की पैरोल पर घर भेजने का प्रयास कर रहा है.

जेल अधीक्षक बीडी पाण्डेय के मुताबिक उक्त कैदी जेल में साफ-सफाई और जेल अस्पताल की सुविधाओं से प्रभावित होकर बाहर न जाने की जिद्द पर अड़ा हुआ है. उसे डर है कि कहीं जेल से बाहर निकलते ही वो कोरोना संक्रमण की चपेट में न आ जाए. बंदी का भी यही कहना है कि जेल में रहकर वो अपनी सजा पूरी करना चाहता है. इस बंदी ने जिला कारागार प्रशासन को लिखकर दिया है कि वो पैरोल पर रिहाई नहीं चाहता.

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कोविड से बचाव के लिए शासनादेश पर दी जा रही पैरोल
आपको बता दें कि यूपी की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी बंद चल रहे हैं. जेल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न हो पाने की वजह से बड़ी संख्या में कैदी कोरोना संक्रमित भी हो चुके हैं. लिहाजा प्रदेश सरकार ने हल्की धाराओं में सजायाफ्ता बंदियों को दो माह की पैरोल पर रिहा करने का फैसला लिया है, ताकि जेल में बंद कैदियों की संख्या को कम कर संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. शासनादेश पर मेरठ जिला कारागार से 42 दोष सिद्ध कैदियों को रिहा किया गया है, जबकि 325 कैदी कोर्ट में विचाराधीन हैं.

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कोरोना के डर से पैरोल कराई कैंसिल
वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि आशीष नाम का दहेज मामले में दोष सिद्ध कैदी है. उसने पैरोल पर जाने से साफ इकार कर दिया है. जेल के भीतर कैदियों का स्वास्थ्य का चेकअप, साफ-सफाई, सैनिटाइजेशन और समय पर दवा एवं इलाज मुहैया कराया जा रहा है. जेल अस्पताल में 24 घंटे सभी कैदी डॉक्टर की निगरानी में रहते हैं. यही वजह है कि आशीष ने पैरोल पर जाने की बजाए अपनी सजा पूरी करने का मन बनाया है.

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