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मेरठ: दिव्यांग बच्चों के हौंसलों को सलाम, निशानेबाजी में दिखा रहे दम

यूपी के मेरठ में मूक-बधिर बच्चे अपनी प्रतिभा का लोहा बडे-बड़ों को मनवा रहे हैं. यहां के मूक-बधिर विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. विद्यालय की प्रधानाचार्या के मुताबिक शूटिंग के अलावा यहां पढ़ने वाले बच्चे जूड़ो-कराटे और बॉस्केट बाल में भी अपनी प्रतिभा का अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

दिव्यांग बच्चों के हौंसलों को सलाम.

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Published : Sep 25, 2019, 7:50 PM IST

मेरठ: मन में हौंसला और दिल में कुछ करने का जज्बा हो फिर राह में कोई मुश्किल बाधा नहीं बन सकती. ऐसा ही हौसला है शहर के कैंट एरिया में स्थित मूक-बधिर विद्यालय में पढ़ रहे इन मूक-बधिर बच्चों का. पढ़ाई के साथ-साथ यह बच्चे खेलों में भी अपनी प्रतिभा की पहचान करा रहे हैं. यह बच्चे भले ही सुन नहीं सकते लेकिन इशारों को बखूबी समझ कर अचूक निशाना लगा रहे हैं. अपनी प्रतिभा के दम पर यह बच्चे राज्य स्तर पर भी सफलता का परचम लहरा चुके हैं. बता दें कि हाल ही में एक बच्चे ने राष्ट्रीय स्तर पर निशानेबाजी में क्वालीफाई किया है.

दिव्यांग बच्चों के हौंसलों को सलाम.
मूक-बधिर बच्चे लगा रहे अचूक निशानाशहर के कैंट एरिया में स्थित मूक-बधिर विद्यालय में पढ़ रहे बच्चे अब निशानेबाजी में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं. यहां स्कूल में बनी शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस करने वाले बच्चों में से चार ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में क्वालीफाई किया. वहीं कक्षा 7 के छात्र सौरव धामा ने नेशनल के लिए क्वालीफाई किया है, वह इस समय वह कोच के साथ नेशनल खेलने के लिए गया हुआ है.

बेटियां भी नहीं है पीछे
केवल लड़के ही नहीं यहां की शूटिंग रेंज में मूक-बधिर लड़कियां भी निशानेबाजी में अपना हुनर दिखा रही हैं. वह भी कई प्रतियोगिताओं में मेडल जीत कर विद्यालय का नाम रोशन कर चुकी हैं. स्कूल में शूटिंग रेंज 3 दिसंबर 2016 को शुरू की गई थी, तभी से यहां बच्चे नियमित रूप से प्रैक्टिस करते हैं. फिलहाल यद सभी बच्चे 25 मीटर राइफल शूटिंग में अपनी प्रतिभा को निखारने में जुटे हैं.

तीन बच्चों से शुरू हुआ था स्कूल
स्कूल की प्रधानाचार्या डॉ. अमिता कौशिक ने बताया कि वर्ष 1998 में यह स्कूल तीन बच्चों के साथ शुरू किया गया था. आज इस स्कूल में 234 बच्चे हैं,​ जिनमें 167 लड़के और 67 लड़कियां हैं. इनमें से 55 लड़के और 16 लड़कियां स्कूल के छात्रावास में रहकर ही अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. प्रधानाचार्या के मुताबिक शूटिंग के अलावा यहां पढ़ने वाले बच्चे जूड़ो-कराटे और बॉस्केट बाल में भी अपनी प्रतिभा का अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

सामान्य बच्चों की तुलना में ये बच्चे तेजी से निशानेबाजी की तकनीक सीख रहे हैं. बोलने और सुनने में असमर्थ होने के बावजूद एक इशारे में ये बच्चे निशानेबाजी की तकनीक समझ जाते हैं और फिर अचूक निशाना लगाते हैं. इन्हें समझाने के लिए ट्रेनर इशारों में साइन लैंग्वेज के माध्यम से उन्हें समझाते हैं. निशानेबाजी में ध्यान केंद्रित करने के लिए इन सभी बच्चों को योग का प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
-डॉ. अमिता कौशिक, प्रधानाचार्या

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