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मेरठ: मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दिया हिंदू की अर्थी को कंधा

मेरठ में मंगलवार को लॉकडाउन के दौरान मुस्लिम समुदाय को लोगों ने साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की है. सोमवार देर रात 65 वर्षीय रमेश चंद माथुर का निधन हो गया. लॉकडाउन के कारण शव वाहन नहीं पहुंचा. जिस पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उनकी अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार भी कराया.

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मुस्लिम समाज के लोग हिंदू भाई के अंतिम संस्कार में हुए शामिल

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Published : Apr 29, 2020, 9:38 AM IST

मेरठ: लॉकडाउन के बीच शहर में साम्प्रदायिक सौहार्द देखने को मिला. थाना कोतवाली के शाहपीर गेट के रहने वाले 65 वर्षीय रमेश चंद माथुर का निधन हो गया. मोहल्ले के मुस्लिम समुदाय के लोग उनके अंतिम संस्कार के लिए आगे आए. उन्होंने न केवल रमेश की अर्थी को कंधा दिया बल्कि श्मशान तक साथ चलकर अंतिम संस्कार भी कराया.

मुस्लिम समाज के लोग हिंदू भाई के अंतिम संस्कार में हुए शामिल

मुस्लिम समाज को लोगों ने की अंतिम संस्कार की तैयारी
कोतवाली क्षेत्र के शाहपीर गेट स्थित कायस्थ धर्मशाला में रमेश चंद का परिवार रहता है. रमेश चंद काफी समय से भगवान चित्रगुप्त मंदिर की देखभाल करते थे. उनके दो बेटे हैं. एक बेटा उनके साथ ही धर्मशाला में रहता है, जबकि दूसरा दिल्ली में रहता है. मंगलवार को अचानक 65 वर्षीय रमेश चंद का देहांत हो गया. उनके देहांत की खबर मिलते ही मोहल्ले के मुस्लिम समुदाय के लोग भी आगे आए. लॉकडाउन के चलते अंतिम संस्कार में किसी तरह की परेशानी न हो.

नहीं पहुंचा शव वाहन

मोहल्ले के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अंतिम संस्कार की सभी तैयारी स्वयं करानी शुरू कर दी. गंगा मोटर कमेटी को फोन कर अंतिम शव यात्रा वाहन को भी बुलाया गया, लेकिन लॉकडाउन के कारण समय से वाहन नहीं पहुंचा, जिस पर मुस्लिम समुदाय के लोग रमेश चंद माथुर के बेटे के साथ अर्थी को कंधा देते हुए सूरजकुंड स्थित श्मशान के लिए चल दिए.

सूरजकुंड श्मशान घाट पहुंच कर भी मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अंतिम संस्कार की तैयारी करायी. लकड़ी लाकर चिता तैयार करायी और फिर अंतिम संस्कार की सभी क्रियाएं, वहां मौजूद श्मशान घाट के आचार्य से पूरी करायीं. मुस्लिम समुदाय के लोग अर्थी को कंधा देते हुए पैदल ही श्मशान घाट पहुंचे. वहां मौजूद हर किसी ने उनकी प्रशंसा की. लोगों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय की इस पहल से एक बार फिर शहर में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश हुई है.

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