मेरठ:अवैध मीट फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद से फरार पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी याकूब कुरैशी और उनके परिवार का यूपी पुलिस को कोई आता पता नहीं है. हालांकि, पुलिस एक्शन में जरूर दिखाई दे रही है. कुछ कार्रवाई भी हुई हैं, लेकिन पुलिस के हाथ अभी खाली हैं. हाजी याकूब कुरैशी इन दिनों पूरे परिवार समेत फरार हैं. उनके घर पर कुर्की वारंट भी चस्पा कर दिया गया है. याकूब और उनके परिवार पर इनाम घोषित करने की तैयारी की जा रही है. हालांकि, कई साल से बंद फैक्ट्री में मीट कारोबार के खुलासे के बाद से प्रशासनिक कार्रवाई और जिम्मेदारों पर भी सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि बिना संरक्षण के अवैध तरीके से मीट कारोबार संभव ही नहीं हो सकता है.
बता दें कि मार्च महीने में पुलिस और प्रशासन की टीम ने खरखौदा थाने के हापुड़ रोड पर स्थित अल फहीम मीटेक्स प्रा.लि. में छापा मारकर करीब पांच करोड़ कीमत का मीट बरामद किया था. जबकि, जिले के जिम्मेदार अफसरों को यही सूचना थी कि ये मीट प्लांट वर्षों से बंद पड़ा है. घटना के बाद से हाजी याकूब कुरैशी और उनका परिवार फिलहाल फरार है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर एक बन्द पड़े मीट प्लांट में ये सब खेल कैसे चल रहा था. हर दिन अनेकों वाहन अंदर से बाहर आते-जाते थे. लेकिन, जिले में लोकल इंटेलिजेंस से लेकर स्थानीय प्रशासन आखिर कौन सी नींद में था जो ये गोरखधंधा फलता-फूलता रहा.
फैक्ट्री ध्वस्त करने के आदेश पर रोक:31 मार्च को हाजी याकूब के मीट प्लांट पर छापामार कार्रवाई के बाद मेरठ विकास प्राधिकरण ने फैक्टरी को ध्वस्त करने का आदेश पारित किया था. लेकिन, मेरठ प्रशासन के इस आदेश के खिलाफ हाजी याकूब ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 मई तक ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी.
जिले में चर्चा का विषय बना घटनाक्रम:पूरे घटनाक्रम को लेकर अब जिले में खूब चर्चाएं भी हो रही हैं. सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर इतने बड़े स्तर पर ये मीट कैसे बरामद हुआ. बंद फैक्ट्री में कैसे ये धंधा चल रहा था. वरिष्ठ पत्रकार हरि जोशी इस मामले में कहा कि बिना संरक्षण मिले या मिलीभगत के इतनी बड़ी मीट फैक्ट्री संचालित नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे कौन लोग थे, उसका खुलासा होना चाहिए. वे कहते हैं कि क्या ये आसान है कि कोई भी प्लांट चलता रहे और किसी को वर्षों तक खबर ही न चले.