मेरठ में कबाड़ से संवर रहे चौक-चौराहे मेरठःजिले में'कबाड़ से जुगाड़' के जरिए शहर का कायाकल्प अभियान नगर निगम के माध्यम से जारी है. इस खास अभियान से मेरठ की अलग पहचान भी बनती जा रही है. एक वक्त था कि मेरठ में चौक चौराहों पर से लोग यूं ही गुजर जाते थे, जबकि अब इन चौक चौराहों के नजारे ऐसे हैं कि शहर की तश्वीर ही बदल गई है.
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 93वें संस्करण में योगी आदित्यनाथ सरकार के इस प्रयास की काफी सराहना भी की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा था कि मेरठ शहर में प्रयास पर्यावरण की सुरक्षा और शहर के सुंदरीकरण से जुड़ा है. निष्प्रयोज्य वस्तुएं स्क्रैप, पुराने टायर, कबाड़, खराब ड्रम से भी कम खर्चे में कैसे शहर को संवारा जा सकता है मेरठ इसकी बानगी है.
मेरठ नगर निगम ने 2022 में खास प्लान तैयार करके शहर की सूरत बदलने के लिए निष्प्रयोज्य वस्तुओं से कम लागत में ही शहर की आभा में चार चांद लगाने का अभियान एक बार छेड़ा, तो शहर भी खूबसूरत दिखने लगा. शहर की कायापलट होती जा रही है. नगर आयुक्त प्रमोद कुमार ने बताया कि खराब पड़ी चीजों के प्रयोग से शहर को सजाने के लिए जतन किए गए.
उन्होंने बताया कि मेरठ के गांधी आश्रम चौराहा, गढ़ रोड पर लोहे के स्क्रैप, पुराने पहियों से फाउंटेन निर्मित कराया गया था. मेरठ के प्रसिद्ध सर्किट हाउस चौराहे पर लाइट ट्री, पुराने बेकार ड्रमों से स्ट्रीट इंस्टलेशन, हाथ ठेली के बेकार पहियों से बैरिकेटिंग कर मिनी व्हील पार्क, जेसीबी के पुराने टायरों से डिस्प्ले वॉल, पार्कों में बैठने के लिए स्टूल मेज आदि भी तैयार करके उनको लगाया गया. उन्होंने कहा कि शहर को खूबसूरत बनाए रखने के लिए और भी बदलाव निरंतर किए जा रहे हैं.
मेरठ में चौक चौराहों के कायाकल्प में अहम रोल अदा करने वाले अभिषेक यादव ने बताया कि करीब 6 महीने पहले ही इस पर कार्य करना शुरू किया था. वह भी दोहराते हैं कि पीएम मोदी ने भी मन की बात में कबाड़ से जुगाड़ का जिक्र किया था, जिससे वह सभी और वो पूरी टीम जिसने शहर को संवारने के लिए कोशिश की हैं सभी बेहद उत्साहित तब से हैं. सिलसिलेवार ढंग से अभिषेक ने एक तरफ से बताया कि कहां क्या कुछ किया गया है. अभिषेक ने बताया कि नगर निगम में कार्य जब उनकी टीम कर रही थी, तो चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से भी उन्हें विश्ववविद्यालय में कुछ कार्य करने के लिए बुलाया गया और यहां भी विश्ववविद्यालय में कई प्रोजेक्ट्स किए हैं.
उन्होंने बताया कि विश्ववविद्यालय में स्क्रैप से पेड़ तैयार किया है, जो कि विशेषतौर पर सभी को अपनी तरफ आकर्षित करता है. वह बताते हैं कि पानी आपूर्ति के डैमेज पाइप से पेड़ को तैयार किया गया है. पुरानी वेस्ट अलमारी की कटिंग करके किताबें बनाई गई हैं, जबकि तेल के खाली ड्रम को कटिंग करके पत्तियों को तैयार किया गया है. उनका कहना है कि उनके साथ एक टेक्निकल टीम अलग है, जबकि आर्टिस्ट टीम अलग है जो कि डिजाइन तैयार करती है उसके बाद फेब्रिकेशन टीम अलग है, जो उस सब पर कार्य करती है. अभिषेक बताते हैं कि जितना भी काम किया गया है वह सभी पूरा का पूरा वेस्ट मैटीरियल है. कुछ भी अलग से नहीं खरीदा गया है.
अभिषेक ने बताया कि बरेली समेत अलीगढ़ नगर निगम से भी उन्हें ऑफर मिल रहे हैं. उनकी टीम करीब 15 लोग हैं. आने वाले समय में प्लास्टिक के स्क्रैप से भी शहर को सुंदर बनाने की प्लानिंग है. कबाड़ के माध्यम से नई-नई एक से बढ़कर एक खूबरसूरत चीज तैयार कर ने में लगे हैं. आमिर ने बताया कि लोगों को रोजगार भी मिल रहा है और शहर भी संवर रहा है.