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कहीं देखी नहीं होगी कुत्ते और बिल्ली की ऐसी दोस्ती, एक-दूसरे के बिना नहीं खाते खाना, हमेशा रहते हैं साथ

मेरठ में कुत्ते और बिल्ली की दोस्ती (Meerut dog cat friendship ) सुर्खियों में है. दोनों हमेशा साथ रहते हैं, एक-दूसरे के बिना खाना भी नहीं खाते हैं. दोनों की दोस्ती देखने के लिए इलाके के लोग भी पहुंचते हैं.

लोग दोनों की नायाब दोस्ती देखने के लिए आते हैं.
लोग दोनों की नायाब दोस्ती देखने के लिए आते हैं.

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Published : Aug 8, 2023, 6:05 PM IST

लोग दोनों की नायाब दोस्ती देखने के लिए आते हैं.

मेरठ :आपने कुत्ते और बिल्ली में दुश्मनी के किस्से जरूर सुने होंगे, कुत्ते की ओर से बिल्ली को दौड़ाते हुए भी देखा होगा, लेकिन दोनों में दोस्ती शायद ही कभी देखी हो. जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर वढला कैथवाडा गांव है. यहां के जंगल में एक आश्रम है. यहां के एक कुत्ते और बिल्ली की दोस्ती इन दिनों सुर्खियों में है. दोनों एक साथ रहते भी हैं, झगड़ते भी हैं, लेकिन कभी एक-दूजे का साथ नहीं छोड़ते. एक-दूसरे को नुकसान भी नहीं पहुंचाते हैं.

कुत्ते और बिल्ली की दोस्ती है गहरी :वढला कैथवाडा में स्थित आश्रम में महाभारत काल में अर्जुन के वंशजों ने मां दुर्गा के मंदिर की स्थापना की थी. इसी आश्रम में महंत कर्दम मुनि महाराज रहती हैं. वह बताती हैं कि आश्रम में एक कुत्ता रहता है, उसका नाम चेतक रखा गया है. एक बिल्ली भी रहती है, उसका नाम सोमू रखा गया है. दोनों एक साथ ही रहते हैं, खूब लड़ते भी हैं, लेकिन दोस्ती गहरी होने के कारण कभी भी एक-दूसरे पर घातक वार नहीं करते हैं. वे एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते हैं. चेतक को सोमू न दिखे तो वह उसे खोजने लगता है. वहीं अगर चेतक थोड़ी देर के लिए कहीं चला जाए तो सोमू भी बेचैन हो जाती है.

कुत्ते और बिल्ली में है गहरी दोस्ती.

एक साथ करते हैं भोजन :महंत बताती हैं कि चेतक और सोमू एक साथ खाना भी खाते हैं. दोनों का एक-दूसरे से खासा लगाव है. अगर दोनों कुछ देर के लिए अलग-अलग हो जाए और उन्हें खाना परोस दिया जाए तो वे तब तक खाना नहीं खाते, जब तक कि दोनों एक साथ न आ जाएं. हमेशा दोनों साथ ही रहते हैं. आसपास के लोग अक्सर दोनों की दोस्ती देखने के लिए आश्रम में आते हैं. लोग दोनों को दुलारते भी हैं.

एक -दूसरे के बिना नहीं रहते दोनों.

आरती के वक्त चेतक निकालता है शंख की आवाज :महंत बताती हैं कि मंदिर परिसर में शाम के समय आरती होती है. इस दौरान जंगली जानवर गीदड़, भेड़िए भी मंदिर प्रांगण में आकर बैठ जाते हैं. आरती के समय चेतक शंख की आवाज भी निकालता है. महंत ने बताया कि जो भी जीव आश्रम की सीमा में आ जाता है, वह हिंसा त्याग देता है. अनेकों बार सांप आदि यहां घूमते मिले हैं, लेकिन वे कभी किसी पर भी हमला नहीं करते हैं.

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