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मेरठ में नाथूराम गोडसे की आरती का विमोचन, अखिल भारत हिंदू महासभा ने बताया हिंदू सम्राट

मेरठ में आज अखिल भारत हिंदू महासभा ने नाथूराम गोडसे की आरती का विमोचन किया. बाकायदा अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने आरती गाई.

मेरठ में नाथूराम गोड़से की आरती का विमोचन
मेरठ में नाथूराम गोड़से की आरती का विमोचन

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Published : Oct 2, 2022, 11:09 PM IST

मेरठ: जहां देश में हर तरफ गांधी जयंती मनाई जा रही है. लोग बापू के देश के हित में किए हुए आंदोलनों और काम को याद कर रहे है. गांधी के अहिंसा परमों धर्म के पथ पर चलने का प्रण लिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ लोग महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे की आरती का विमोचन कर रहे हैं. इसीक्रम में रविवार को मेरठ में अखिल भारत हिंदू महासभा ने नाथूराम गोडसे की आरती का विमोचन किया. बाकायदा अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने नाथूराम गोडसे की फोटो रखकर आरती गाई.

मेरठ में नाथूराम गोडसे की आरती का विमोचन

अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने बताया कि नाथूराम गोडसे को हिंदू हृदय सम्राट हैं. और वे लोग वो नाथूराम गोडसे की आरती घर-घर पहुंचाएंगे. इसे लेकर आगामी पंद्रह नवंबर से अभियान शुरु करेंगे. अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यालय में नाथूराम गोडसे की प्रतिमा स्थापित है. नाथूराम गोडसे की आरती घर घर पहुंचाने के लिए पंद्रह नवंबर से अभियान शुरु किया जाएगा. आरती के शब्द है. इस भारत में गद्दारों की जिसने नींद हराम की. सुबह शाम मैं करूं आरती ऐसे नाथूराम की. महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे को (15 नवंबर 1949) को फांसी दी गई थी.


इससे पहले अखिल भारत हिंदू महासभा ने मेरठ का नाम गोडसे नगर रखने की मांग उठाई थी. हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने मेरठ का नाम गोडसे नगर करने साथ ही गाजियाबाद और हापुड़ जिले के नाम को भी बदलने की मांग की थी. गौरतलब है कि गोडसे ने 30 जनवरी, 1948 को बिड़ला हाउस में दिनदहाड़े महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. मेरठ में भी अखिल भारतीय हिंदू महासभा संगठन ने अपने कार्यालय में नाथूराम गोडसे की एक मूर्ति स्थापित की है .संगठन के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा के मुताबिक वो गोडसे और सावरकर के उपासक हैं, दरअसल, हिंदू महासभा का मानना है कि गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या सिर्फ विभाजन में मारे गए लाखों हिन्दुओं की मौत का बदला लेने के लिए की थी. लिहाजा उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाना चाहिए.

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