मऊः कुछ कर गुजरने की ठान लें तो विपरीत परिस्थियां भी कुछ नहीं कर सकतीं. इस वाक्य को जिले के एक शिक्षक चरितार्थ कर रहे हैं. परिषदीय विद्यालय धरौली के शिक्षक डॉ. राम विलास भारती कोरोना काल में भी गरीब परिवार के बच्चों को घर-घर जाकर शिक्षा दे रहे हैं. वह खुद के खर्च से परिषदीय विद्यालय को कान्वेंट से बेहतर बनाने का भी खिताब अपने नाम कर चुके हैं.
खुद के वेतन से कर दिया विद्यालय का कायाकल्प
घोसी क्षेत्र स्थित धरौली पूर्व माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक राम विलास भारती का कोरोना काल में भी हौसला बुलंद है. उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य है कि झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को कभी यह एहसास न हो कि वह बड़े घर के बच्चों की तरह नहीं पढ़ सकते. बताया कि वह 2017 में प्रभारी प्रधानाध्यापक बने, जिसके बाद खुद के चार लाख खर्च करके पूरे विद्यालय का सौंदर्यीकरण कराया.
प्रोजेक्टर से चलती है क्लास
अब उनके विद्यालय में आधुनिक तरीके से शिक्षण के लिए प्रोजेक्टर से क्लास संचालित की जाती है. स्कूल में लाइब्रेरी है. इसमें स्कूल के साथ-साथ गांव के अन्य बच्चे भी आकर पढ़ाई करते हैं. इसी बीच कोरोना की वजह से स्कूल बंद करने का आदेश आ गया. इसके बाद वह ऑनलाइन क्लास चला रहे हैं. जो बच्चे संसाधन विहीन हैं, उन्हें उनकी चौखट पर जाकर पढ़ा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान मिला
बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा गरीब परिवार के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए तमाम योजनाएं संचालित की जा रहीं हैं, लेकिन शिक्षक मनोयोग से बच्चों पर ध्यान न दें तो सरकार की मंशा में पलीता लग जाता है. शिक्षक बेहतर से बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाए, इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग हर वर्ष उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान देता है. डॉ. रामविलास भारती को भी परिषदीय विद्यालय का कायाकल्प करने के लिए 2019 में उत्कृष्ट राज्य शिक्षक सम्मान मिल चुका है.
कान्वेंट छोड़ परिषदीय विद्यालय में आ रहे छात्र
पूर्व माध्यमिक विद्यालय धरौली में शैक्षणिक सुधार की चर्चा क्षेत्र में है. ऐसे में बेहतर पढ़ाई के लिए जो अभिवावक अपने बच्चों को कान्वेंट में पढ़ाते थे. अब धरौली सरकारी स्कूल में बच्चों का नामांकन करवा रहें हैं. शिक्षक डॉ. भारती ने बताया कि 2017 में यहां 80 बच्चों का नामंकन था. अब 165 हो चुका है. इस वर्ष 30 ऐसे बच्चों का नामांकन हुआ है जो कान्वेंट में पढ़ाई करते थे.