मऊ:जनपद में पोषण पखवाड़ा की शुरूआत 16 मार्च से 31 मार्च तक होगी. इसमें नवजात के लिए स्तनपान सर्वोत्तम आहार, व्यापक मानसिक विकास व नवजात को डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बचाने और उसके स्वास्थ्य के लिए कितना आवश्यक है. इसके प्रति जागरूक किया जाएगा. पखवाड़े में समुदाय स्तरीय गतिविधियों के तहत कोविड के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पोषण पखवाड़ा चलाया जाएगा.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि बच्चों के सर्वांगीण एवं शारीरिक विकास के लिए स्तनपान अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसका शिशु एवं बाल जीविता पर अहम प्रभाव पड़ता है. पहले के अनुभव बताते हैं कि जिन शिशुओं को एक घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है. उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33% अधिक होती है. जन्म से 6 माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर आम बाल्यकाल रोग जैसे दस्त एवं निमोनिया के खतरे में क्रम से 11% से 15% की कमी लाई जा सकती है.
जिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश कुमार ने बताया कि जनपद के सभी ब्लाकों के अंतर्गत ग्राम सभाओं में आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से आमजन में पोषण के प्रति व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा. शहरी और ग्रामीण परिवेश की गर्भवती व धात्री महिलाओं को स्वस्थ, पौष्टिक एवं संतुलित आहार जैसे गावों में आसानी से मिल जाने वाले सहजन, करी पत्ता, लौकी, गाजर, मूली, हरी साग सब्जी से रोग प्रतिरोधक के साथ शिशु को स्तनपान कराने क्षमता में वृद्धि होगी, शरीर को लाभ मिलेगा.
जिला महिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सिंह ने बताया कि इस पखवाड़े के अंतर्गत स्तनपान को बढ़ावा देने के साथ ही स्तनपान से फायदे के प्रति शहर से लेकर ग्राम स्तर तक जागरूकता प्रदान कराना है. नवजात शिशु के लिए पहले ही घंटे के अंदर पीला गाढ़ा जो कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है. आवश्यक रूप से पिलाने के साथ हर 2 से 3 घंटे के बीच 24 घंटे में 8 से 12 बार पिलाते रहना चाहिए. नवजात शिशु को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए और इसके बाद दो वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ अनुपूरक पूरक आहार भी देना चाहिए.
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