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52 वर्षीय दिव्यांग ने पीसीएस की परीक्षा पास कर रचा इतिहास

उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के रहने वाले 52 साल के दिव्यांग ने पीसीएस की परीक्षा पास कर न सिर्फ इतिहास रचा है बल्कि यह संदेश दिया है कि सफलता में उम्र कभी बाधा नहीं होती.

घासीराम की सफलता पर परिवार बेहद खुश है.

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Published : Feb 25, 2019, 10:41 AM IST

मऊ : दक्षिण टोला थाना क्षेत्र के धनगरपुरा मोहल्ले केमूल निवासी औरपेशे से वकालत करने वाले52 वर्षीय दिव्यांग घासीराम ने पीसीएस की परीक्षा पास कर नसिर्फ इतिहास रचा है बल्कि यह संदेश दिया है कि सफलता मेंउम्र कोई बाधा नहीं होती.घासीराम का चयन जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर हुआ है. यह खबर जैसे ही परिजनों और दोस्तों कोहुई तो खुशी से झूम उठे.घर पर उन्हे बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.

घासीराम की सफलता पर परिवार बेहद खुश है.


उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के रहने वाले 52 साल के दिव्यांग ने पीसीएस की परीक्षा पास कर न सिर्फ इतिहास रचा है बल्कि यह संदेश दिया है कि सफलता में उम्रकभी बाधा नहीं होती. घासीराम पुत्र स्वर्गीय अकदास दक्षिण टोला थाना क्षेत्र के गढ़पुरा के मूल निवासी है. घासीराम एक गरीब परिवार से है.कुदरत ने उन्हें दिव्यांग बना दिया था. उनके मन में बचपन से ही अधिकारी बनने का शौक था. आज 52 साल की उम्र में उन्होंने अपना सपनापूरा कर लिया.


बताते चलें कि घासीराम की शादी होने के कुछ सालों बाद किन्ही कारणों से पत्नी व बच्चेसाथ छोड़ कर चले गए. घर से गए लगभग 22 साल हो गए हैंऔर अब तकवापस नहीं लौटे.बीवी बच्चों के जाने के बाद घासीराम ने हार नहीं मानी और लगातार अपने जीवन में संघर्ष करते रहे. वहपरिवार का दर्द छुपा कर पीसीएस की तैयारी में जुट गएऔर आज जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर चयनित हुए.


घासी राम की पत्नी सुनीता देवी आजमगढ़ में पुलिस विभाग में नौकरी करती है.उनकी तीन पुत्रियां प्रियंका 25 वर्ष, दीक्षा 23 वर्ष,21 वर्ष और एक बेटा भारत भूषण भी है. घासी राम ने कहा कि आज मैं जिस मुकाम पर हूं. इसका सारा श्रेय हमारे दोस्त और बहन को जाता है. यदि येलोग साथ नहीं होते तो सफलता हाथ नहीं लगती.घासराम कीरुचि किताबें पढ़ना औरफिल्में देखनाहै. घासीराम वकालत करतेहैं.

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