मथुरा:जनपद में दो देशों की संस्कृति और सभ्यता का समागम देखने को मिला. जब अमेरिका के न्यू टाउन से आए विदेशियों ने वात्सल्य ग्राम की भूमि पर राधा-कृष्ण बनकर जमकर होली के रंग बिखेरे. सात दिनों में ही हिंदुस्तानी संस्कृति को अपने में समाहित करने वाले विदेशियों ने जमकर लट्ठमार और फूलों की होली खेली. इस दौरान विदेशियों ने राजस्थानी लोकगीतों व डांडिया की भी मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसे देखकर श्रोता अपने आपको ताली बजाने से नहीं रोक पाए.
विदेशी कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुति. कान्हा की नगरी में सभी इन दिनों होली के रंगों में सराबोर नजर आ रहे हैं. देश-विदेश हर जगह से लोग मथुरा आकर कृष्ण रंग में सराबोर नजर आ रहे हैं. सात समुंदर पार से आए सैलानी मंच पर रासलीला, लठमार होली और फूलों की होली खेल रहे हैं.
अमेरिका के न्यू टाउन शहर से भारतीय संस्कृति को पढ़ने-जानने आए इन लोगों को भारतीय संस्कृति व सभ्यता ने इतना प्रभावित किया कि सिर्फ 7 दिनों में ही वृंदावन के वात्सल्य ग्राम में भारतीय संस्कृति को अपने आप में उतार लिया. यही नहीं, बिना किसी झिझक राधा-कृष्ण की लीलाओं को जीवंत कर रहे हैं .अपनी कला से सबको रिझाने वाले विदेशी कृष्ण-राधा ने भाव साझा करते हुए कहा कि हम लोग यहां भारतीय संस्कृति व सभ्यता जानने आए थे, लेकिन यह जीवन जीना एक अलग ही आनंद देने वाला है. यहां की संस्कृति जीवन को नया आयाम देने वाली है. हमने होली खेली बहुत अच्छा लगा .
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यह दो संस्कृति और सभ्यता का मिलन है, क्योंकि पश्चिम के लोगों को भारत के प्रति भारी आकर्षण है . हमारी संस्कृति और हमारा ज्ञान जो है सबसे खूबसूरत चीज है .7 दिन में ही बच्चों ने कितना भारत को जिया है, भावों को जिया है और सबसे बड़ी भाषा प्रेम की भाषा होती है और प्रेम के लिए किसी भाषा की जरूरत नहीं होती है.
साध्वी ऋतंभरा