मथुराः भाई दूज का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. सूर्य उदय की पहली किरण के साथ कान्हा की नगरी में भाई- बहन ने एक साथ यमुना नदी में स्नान कर यह पर्व मनाया. इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन यमुना जी में स्नान करके यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है. इस मौके पर दूरदराज से आए लाखों श्रद्धालु यमुना में स्नान कर दान पुण्य कर रहे हैं.
मथुरा में भैया दूज का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. शहर के विश्राम घाट पर सूर्य की पहली किरण के साथ लाखों की संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. खासकर भाई बहन एक साथ यमुना में स्नान करते हुए नजर आ रहे हैं.
यम द्वितीया स्नान को लेकर जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. यमुना नदी के किनारे बैरिकेडिंग और गोताखोर लगाए गए हैं भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने खोया-पाया केंद्र भी बनाया है. श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि गहरे पानी में न जाएं.
यम द्वितीया भी कहा जाता
शहर के विश्राम घाट स्थित यमुना नदी में स्नान करके भाई-बहन यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है. भैया दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है.दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर स्नान करते हैं और भाई बहन यमुना जी और धर्मराज के मंदिर में जाकर दान पुण्य करते हैं.
पौराणिक मान्यता
हजारों वर्ष पूर्व सूर्यपुत्री यमुना मैया ने अपने भाई यमराज को अपने घर बुलाया था. बहन ने भाई की खूब खातिरदारी की. बहन की खातिरदारी से प्रसन्न होकर भाई यमराज प्रसन्न हो गए और कोई एक वरदान मांगने को कहा. इस पर बहन यमुना जी ने भाई से कहा मेरे पास तो सब कुछ है, कृष्ण की पटरानी हूं मेरे स्वामी संसार को सब कुछ देने वाले हैं कोई भला मुझे क्या कुछ दे सकता है. भाई यमराज ने अपनी बहन से कुछ भी मांगने को कहा, बहन ने भाई से पूछा आप के प्रकोप से लोगों को मुक्ति कैसे मिलेगी. यमराज ने कहा कि शुक्ल पक्ष के दूज के दिन जो भी भाई बहन विश्राम घाट पर आकर स्नान करेगा उसे मेरे प्रकोप से मुक्ति मिल जाएगी वह सीधा बैकुंठ में वास करेगा. यमराज और यमुना जी ने विश्राम घाट पर एक साथ स्नान किया. प्राचीन काल का मंदिर आज भी स्थापित है. तभी से यह मान्यता प्रचलित है.