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जेल में बंद था युवक, पुलिस ने लगा दिया फर्जी चोरी का आरोप

मथुरा के जेल में बंद एक आरोपी को पुलिस ने 2018 फर्जी बाइक चोरी के मामलें फंसाया था. जिसके बाद मामले की जांच 33 पुलिसकर्मी दोषी पाएं गए. डीजीपी लखनऊ ने इन पर कार्रवाई की बात भी कही लेकिन अब सभी पुलिसकर्मियों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है. जिसको लेकर पीड़ित युवक के परिजनों ने न्याय की गुहार लगाई है.

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जेल में बंद युवक पर फर्जी चोरी का आरोप

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Published : Aug 10, 2022, 3:06 PM IST

मथुराः जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. मथुरा पुलिस ने पहले से जेल में बंद एक युवक को बाइक चोरी करने के आरोप में फंसा दिया. जब मामले की शिकायत की गई तो प्रकरण में 33 पुलिसकर्मियों को एससी/एसटी आयोग ने जांच में दोषी माना. अभी तक इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिससे पीड़ित युवकों के परिजन काफी आक्रोशित है. परिजनों द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई गई है.

थाना गोविंद नगर पुलिस ने 11 जनवरी 2018 को एक बाइक चोरी प्रकरण का खुलासा किया था. जिसमें पुलिस ने रिफाइनरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली कृष्णा विहार कॉलोनी के रहने वाले युवक चेतन और हाईवे थाना क्षेत्र के विर्जापर के रहने वाले पुनीत कुमार को असलहा और चोरी की बाइक के साथ गिरफ्तार किए जाने की बात कही थी. पुलिस के अनुसार आरोपी युवकों से बाइक बरामद हुई थी, उसे चेतन ने 15 अक्तूबर 2017 की शाम को पुनीत कुमार के साथ जिला अस्पताल से चोरी किया था.

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पुलिस के अनुसार इस संबंध में मथुरा के थाना कोतवाली नगर में इस संबंध में केस दर्ज हुआ था, लेकिन पुलिस को नहीं पता था कि जिस दिन चेतन को बाइक चोरी करना दिखा रही है उस दिन चेतन किसी अन्य मामले में जिला कारागार में बंद था. पुलिस द्वारा इस फर्जी मामले में फसाएं गए दूसरे युवक पुनीत के परिजनों के पुलिस पर गलत तरिके से कार्रवाई की बात कही. पुनीत के अनुसूचित जाति का होने के चलते पुनीत के भाई सुमित ने इसकी शिकायत 2019 में एससी-एसटी आयोग लखनऊ से कर पूरे प्रकरण में जांच कर कार्रवाई की मांग की.

वहीं, जब एससी-एसटी आयोग ने मामले की जांच पहले अपर पुलिस महानिदेशक आगरा के माध्यम से मथुरा और आगरा पुलिस से कराई तो आयोग इस जांच से संतुष्ट नहीं हुआ. इसके बाद आयोग द्वारा मुख्यालय पुलिस महानिदेशक से विशेष जांच करवाई गई. जिसकी जांच रिपोर्ट 27 जनवरी 2022 को सहायक निदेशक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग लखनऊ और डीजीपी लखनऊ को भेजी गई. इसमें 33 पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए कार्रवाई की बात कही गई. लेकिन अभी तक इन 33 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं हुई है जिसके चलते पीड़ित युवकों के परिजन में काफी आक्रोश है.

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