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महराजगंज: लॉकडाउन से धंधा चौपट, दाने-दाने को मोहताज दिहाड़ी मजदूर - कोरोना वायरस

यूपी के महराजगंज में अभी भी कुछ मजदूर फंसे हैं, जो अपने घर जाना चाहते हैं. मजदूरों का कहना कि अभी तक सरकार की तरफ से उनकी कोई मदद नहीं की गई है.

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दाने-दाने को मोहताज दिहाड़ी मजदूर.

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Published : Mar 30, 2020, 7:52 AM IST

महराजगंज: प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने सभी जिलों को लॉकडाउन कर दिया है. जिससे दिहाड़ी मजदूरों के काम धंधे बंद हो गए हैं. काम धंधा न चलने से दाने दाने के लिए ऐसे लोग मोहताज हो गए हैं, जो दूसरे प्रदेश या दूसरे जिलों से आकर महराजगंज जिले में मजदूरी या कोई छोटा-मोटा धंधा करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे.

दाने-दाने को मोहताज दिहाड़ी मजदूर.

वहीं जिला प्रशासन की ओर से लॉकडाउन के पांचवें दिन तक ऐसे लोगों के लिए न तो भोजन की कोई व्यवस्था की गई और न ही उन्हें उनके मूल गांव भेजने की कोई कोशिश.

प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जहां प्रदेश सरकार द्वारा 21 दिनों तक लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है. वहीं इस दौरान काम धंधे बंद होने से दिहाड़ी मजदूर 5 दिनों से दाने-दाने के लिए मोहताज हैं. ऐसे लोगों लिए जिला प्रशासन के द्वारा न तो आज तक कोई भोजन की व्यवस्था की गई और न ही उनके मूल गांव भेजने की कोई कोशिश.

लॉकडाउन होने के बाद से दिहाड़ी मजदूरों को बमुश्किल स्थानीय लोगों के रहमों-करम पर दो वक्त का खाना नसीब हो रहा है. प्रदेश सरकार द्वारा दावे तो बहुत किए जा रहे हैं, लेकिन इसका जमीनी हकीकत यहां कुछ और ही बयां कर रही है.

झांसी सहित विभिन्न स्थानों से महराजगंज जिले के पनियरा सहित विभिन्न स्थानों पर दिहाड़ी मजदूरी और छोटा-मोटा काम धंधा कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले तमाम मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन से सारा काम धंधा बन्द हो गया है.

स्थानीय लोगों के सहयोग से बमुश्किल दो वक्त का खाना नसीब हो रहा है. जिला प्रशासन के द्वारा आज तक न तो भोजन की कोई व्यवस्था की गई और न ही उनके मूल गांव भेजने की कोई कोशिश. झांसी से आकर महराजगंज जिले के पनियरा में टिकीया और फुल्की का ठेला लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले अलिआव ने बताया की लाक डाउन से काम धंधा सब बन्द हो गया है.

परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल होता जा रहा है. सरकार के द्वारा आज तक कोई भोजन कि वयवस्था नहीं की गयी और न ही उसे घर भेजने की कोई कोशिश.

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