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कोरोना: जागरूकता के अभाव में झोलाछाप डॉक्टर के पास पहुंच रहे ग्रामीण

पंद्रह दिनों के भीतर 12 लोगों की मौत से महराजगंज के बड़हरा मीर गांव में सन्नाटा पसर गया है. यहां ग्रामीण दहशत में हैं. जागरुकता के अभाव में ज्यादातर लोग तबियत खराब होने पर झोलाझाप डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं. ऐसे में कुछ तो ठीक हो जाते हैं तो वहीं कुछ लोगों की मौत हो जाती है.

कोरोना को लेकर ग्रामीणों में जागरूकता का अभाव.
कोरोना को लेकर ग्रामीणों में जागरूकता का अभाव.

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Published : May 13, 2021, 10:13 PM IST

महराजगंज:प्रदेश में कोरोना की रफ्तार कम नहीं हो रही है. इतना ही नहीं प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं. इतवा ही नहीं इलाज और जागरुकता के अभाव में लोगों की मौत भी हो रही है. यही हाल महराजगंज जिले का भी है. जनपद मुख्यालय से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित मिठौरा ब्लॉक के बड़हरा मीर गांव में पंद्रह दिनों के भीतर ही 12 लोगों की मौत हुई है, जिससे ग्रामीणों में भय बना हुआ है. मरने वालों में आधे से ज्यादा लोग युवा वर्ग के थे.

कोरोना को लेकर ग्रामीणों में जागरूकता का अभाव.

कोरोना और इलाज को लेकर जब ग्रामीणों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि हमें हल्की-फुल्की बीमारी होती है तो हम इलाज के लिए गांव के चौराहे पर के डॉक्टरों के पास जाते हैं और ठीक हो जाते हैं.जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि गांव के चौराहे पर बैठने वाले डॉक्टरों के पास न तो कोई डिग्री है और न ही जीवन बचाने के लिए कोई खास चिकित्सीय उपकरण. इसके बावजूद भी जागरुकता के अभाव में ग्रामीण यहां अपना इलाज कराने चले आते हैं.

जागरूकता की कमी
सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी ग्रामीणों में कोरोना को लेकर जागरूकता नहीं देखने को मिल रही है. लोग गांव के हालातों से सहमे जरूर हैं, लेकिन कोरोना के लक्षण और बचाव इन्हें नहीं पता. जागरुकता की कमी का आलम यह है कि जिनके घरों में कोरोना से मौत हुई है उनके घर ब्रह्मभोज किया जा रहा है, जहां उनके परिवार के साथ उनके तमाम रिश्तेदार भी पहुंचे हैं.

स्वास्थ्य विभाग का अमला अब भी गांव से दूर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशानुसार गांव-गांव जाकर ग्रामीणों में कोरोना के लक्षणों की पहचान कर उनकी टेस्टिंग कराकर उन्हें उचित उपचार देने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का अमला अब तक गांव की पहुंच से कोसों दूर है.

सांसद का गोद लिया हुआ गांव है बड़हरा मीर
साल 2014 में सांसद पंकज चौधरी ने इस गांव को गोद लिया था. तबसे विकास के नाम पर यहां आरओ मशीन लगाई गई है, जिससे ग्रामीण शुद्ध पानी लेते हैं. यहां पंचायत भवन, हाट बाजार, प्राथमिक विद्यालय भी है, लेकिन सांसद के गोद लिए गए गांव में जैसी सड़कें और स्वच्छता होनी चाहिए, वैसी नहीं है.

ग्रामीणों ने बताई हकीकत

ग्रामीणों ने बताया कि सांसद के गोद लेने वाली बात सिर्फ कागजी है. जमीन पर उनके गांव की स्थिति अन्य गांवो की अपेक्षा बुरी है. ग्रामीणों का कहना है कि इस महामारी में सांसद हों या विधायक, सभी अंडरग्राउंड हो चुके हैं. उनकी तस्वीरें सिर्फ अखबारों में और सोशल मीडिया पर नजर आ रही हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तो सब कुछ सामान्य है. जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी होने वाले कोविड रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि जिले में मौतें थम गई हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है.

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प्रधान प्रतिनिधि ने दी जानकारी
बड़हरा मीर की ग्राम प्रधान दुर्गावती देवी के प्रतिनिधि और उनके पति चन्द्रमणि ने बताया कि गांव में पन्द्रह दिनों के भीतर करीब बारह लोग मर चुके हैं, जिनमें पांच लोग कोरोना से प्रभावित थे. बाकी की सामान्य मौत हुई है.

ग्राम विकास अधिकारी ने रखा अपना पक्ष
वहीं बड़हरा मीर के ग्राम विकास अधिकारी नागेंद्र पांडेय बताते हैं कि ऑन रिकार्ड तीन लोगों की मौत कोरोना से हुई है, बाकी लोग झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज कराने गए, जिससे उनको उचित इलाज नहीं मिला और उनकी मृत्यु हुई. जिनका रिकार्ड मेरे पास नहीं है. कोविड से मरने वाले लोगों के घरों के आसपास साफ सफाई और गांव को दो बार सेनेटाइज भी कराया गया है.

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