लखनऊः नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन ने कहा कि प्रदेश के नगर निगमों में संपत्ति कर की वसूली के लिए उत्तर प्रदेश नगर निगम (संपत्ति कर) नियमावली-2000 लागू है. नगर पालिका परिषदों, नगर पंचायतों में भवन और भूमि दोनों के वार्षिक मूल्य पर कर लगाने की कोई नियमावली नहीं थी. जिसके बाद इसमें बदलाव करते हुए नियमावली-2021 को मंजूरी दी गई है.
गृहकर वसूली में होती थी मनमानी
नगर विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के लिए नियमावली न होने की वजह से संपत्ति कर वसूली में मनमाना रवैया अपना जाता रहा है. इसीलिए उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 में दी गई व्यवस्था के अनुसार नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में भवन या भूमि या दोनों के वार्षिक मूल्य पर कर निर्धारण की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश नगर पालिका (भवन या भूमि या दोनों के वार्षिक मूल्य पर कर) नियमावली-2021 को मंजूरी दी गई है.
नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में क्षेत्रवार तर होगी किराया दर
नगर विकास विभाग द्वारा नियमावली जारी होने के बाद नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में क्षेत्रवार किराया दर तय की जाएगी. इसे तय करने का अधिकार निकाय बोर्ड का होगा. क्षेत्रवार किराया दर और भवन के निर्मित क्षेत्र को 12 से गुणा करते हुए वार्षिक मूल्य (एआरवी) तय किया जाएगा. इसका कुल कितना प्रतिशत संपत्ति कर के रूप में लिया जाएगा, इसे निकाय बोर्ड स्थानीय स्तर पर तय करेंगे.
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भवन स्वामियों को राहत
नई नियमावली में पुराने भवन स्वामियों को बड़ी राहत दी गई है. उदाहरण के लिए 10 साल से पुराने भवनों में अगर भवन स्वामी स्वयं रह रहा है तो उसे 25 प्रतिशत छूट मिलेगी. इसी तरह 10 से 20 साल पर साढ़े 32 प्रतिशत और 20 साल से अधिक पुराने भवन पर 40 फीसदी छूट दी जाएगी. अगर ऐसे भवनों में भवन स्वामी नहीं रहता है और किराए पर चल रहा है तो 10 साल पुराने भवन पर 25 फीसदी, 10 से 20 साल पुराने भवन पर साढ़े 12 फीसदी अधिक गृहकर लिया जाएगा. लेकिन 20 साल पुराने भवनों पर कोई अतिरिक्त कर नहीं लिया जाएगा.