लखनऊ:यूपी की जेलों में ब्रिटिश काल का कानून बदल गया है. योगी कैबिनेट की बैठक में 100 साल पुराने जेल के मैनुअल में बदलाव को मंजूरी मिली है. अब जहां जेलों में काला पानी की सजा खत्म हो गई है. वहीं, महिला बंदी जेल में मंगलसूत्र पहन सकेंगी और करवा चौथ जैसे तीज-त्योहार मना पाएंगीं. नए मैन्युल के अनुसार महिला बंदियों के बच्चे जेल के बाहर के स्कूल में भी पढ़ सकेंगे.
जेल में सलवार सूट पहन सकेंगी महिला बंदी
'उप्र जेल मैनुअल 1941' के अनुपयोगी हो चुके प्रावधानों को समाप्त कर प्रस्तावित 'उप्र जेल मैनुअल 2022' में बंदियों के लिए अब तमाम नई सुविधाएं भी दी जाएंगी. महिला बंदियों के किए नए मैन्यूल में कई बदलाव किए गए है. जेल में बंद महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन, नारियल तेल एवं शैम्पू दिया जाएगा. यही नही मंगल सूत्र व सलवार-सूट पहनने की छूट मिलेगी. जेल में जन्में बच्चों का जन्म पंजीकरण, टीकाकरण व नामकरण भी कराया जाएगा. बच्चों के लिये क्रेच, नर्सरी, खेलकूद, मनोरंजन और शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी. गर्भवती व नर्सिग माताओं को पौष्टिक आहार व चिकित्सीय सुविधायें मुहैया कराई जाएंगी. साथ ही टूथ पाउडर, चप्पल, कूलर भी मिलेगा.
त्योहारों पर सेंवई व खीर, व्रत में मिलेगा विशेष भोजन
बंदियों को अब हफ्ते में दो बार की जगह हर दिन चटनी, महीने में एक बार कढ़ी चावल, रोजाना शाम को चाय, कारागारों में बेकरी की व्यवस्था और ईद एव बकरीद पर सेवई व होली, दीपावली एवं राष्ट्रीय पर्वों पर खीर और व्रत के समय विशेष भोजन दिया जाएगा. हिंदू बन्दियाें को शिवरात्रि, रामनवमी, अनंत चतुर्दशी, देवोत्थानी एकादशी, जन्माष्टमी, नवरात्रि, करवा चौथ, तीज और भीम एकादशी पर व्रत और मुस्लिम बंदियों को रोजा रखने की अनुमति होगी.
ये है बड़े बदलाव
- एक ही जेल में निरुद्ध रक्त संबंधी एवं पति-पत्ली अब आपस में मुलाकात कर सकेंगे
- रक्त संबंधी अथवा पति-पत्नी की मृत्यु पर अंतिम दर्शन की होगी व्यवस्था
- विदेशी बंदियों की से भी हो सकेगी मुलाकात
- बंदियों से मुलाकात करने वालों को दिखाना होगा फोटोयुक्त पहचान पत्र
- अब किसी बंदी द्वारा जेल में अपराध करने पर उसे हथकड़ी व बेड़ी नहीं लगाया जाएगा और न ही उसे तनहाई में डाला जाएगा।ॉ
- बंदियों को मई व जून को छोड़कर सभी महीनों में चाय के साथ 4 बिस्किट मिलेंगे
- जेलों में पके हुए सामान बनाने के लिये बेकरी की होगी स्थापना
- निराश्रित बंदियों को चप्पल दिया जाएगा, पर रिहाई के समय जमा करना होगा
- सभी जेलों में एक बंदी कल्याण कैंटीन और बंदी कल्याण कोष की स्थापना होगी
- जेल बंदियों की एक पंचायत होगी, जेल प्रशासन करेगा पंचायत के कामकाज की निगरानी
- बंदी की मृत्यु पर सीएमओ की देखरेख में अनिवार्य होगा पोस्टमार्टम
अप्रसांगिक हो चुकी ये व्यवस्थाएं भी होंगी समाप्त - लॉकअप जेल की व्यवस्था समाप्त
- यूरोपीय बंदियों के लिए अब अलग जेल की व्यवस्था नहीं होगी
- रजवाड़ों के बंदी के लिए मुक्ति और स्थानांतरण की व्यवस्था
- नेपाल, भूटान, सिक्किम एवं कश्मीर के बंदियों की मुक्ति और स्थानांतरण की व्यवस्था खत्म
- टीबी रोग से ग्रसित बंदियों के लिए जिला कारागार सुलतानपुर के निर्धारण की व्यवस्था खत्म
- कालापानी की सजा के लिए कैदी अब पोर्ट ब्लेयर स्थानांतरित नहीं होंगे
- जेलों में अब नहीं बनेंगे शुष्क शौचालय, जेलों में लालटेन की व्यवस्था खत्म
- 6 जेल लखनऊ, चित्रकूट, गौतमबुद्धनगर, आजमगढ़, ललितपुर व बरेली होंगी हाई सिक्यूरिटी
चार श्रेणियों में बांटी गईं जेल - मौजूदा व्यवस्था में जिला कारागारों में बंदी संख्या के आधार पर 5 श्रेणियां हैं. इसमें 500 से अधिक, 301 से 500 तक, 151 से 300 तक 101 से 150 तक 01 से 100 तक निर्धारित थीं. नये मैनुअल में चार श्रेणियां होंगी. श्रेणी-ए की कारागार में 2,000 से अधिक बंदी, श्रेणी-बी में 1501 से 2000, श्रेणी-सी में 1001 से 1500 और श्रेणी-डी में 1000 तक बंदी.
बंदी रक्षकों को रायफल के स्थान पर 9 एमएम की पिस्टल - यूपी पुलिस ने भले ही अंग्रेजों के समय की थ्री नॉट थ्री राइफल से आजादी पा ली हो लेकिन बंदी रक्षकों को अब तक वही राइफल मिलती थी. लेकिन अब उन्हें 9 एमएम की पिस्टल, इन्सास और कार्बाइन मिलेगी. इससे वे खूंखार अपराधियों से निपटने में सक्षम होंगे. आपात स्थिति में स्थिति नियंत्रित करने के लिए बाहरी फोर्स की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी. बंदियों की सुरक्षा के लिए चेस्ट गार्ड, एल्बोगार्ड, फाइबर ग्लास, हेलमेट, पॉली कॉर्बोनेट शील्ड व लाठी के अलावा दंगारोधी टीजर गन आंसू गैस, वाटर कैनन, शॉक बटन, पेपर वॉल गन भी मुहैया कराया जाएगा.
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