लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नगरीय निकाय के बीच बेहतरी के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की जरूरत बताई है. सीएम ने कहा कि नगरीय निकायों को 'ईज ऑफ लिविंग' के मद्देनजर टाउन प्लानर की मदद से अगले 100 वर्ष को ध्यान में रखते हुए ठोस कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए. सीएम ने कहा कि नगरीय निकाय अपनी आय बढ़ाने और अधिकाधिक रोजगार सृजन पर फोकस करें. साथ ही, अपने शहर को 'स्मार्ट' बनाने के लिए व्यवस्थित प्रयास करते हुए औरों के सामने मॉडल पेश करें.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को 76 नवसृजित नगर पंचायतों के कार्यालय भवन का शिलान्यास कर रहे थे. वर्चुअल माध्यम से सम्पन्न शिलान्यास कार्यक्रम में संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की भी सहभगिता रही. इस मौके पर सीएम ने कहा कि शहरीकरण की पहली शर्त है- बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता. लेकिन, कुछ वर्ष पहले तक ट्रैफिक जाम, गंदगी, जर्जर झूलते-लटकते बिजली तार नगरों की पहचान हुआ करते थे. शहरों में एक बड़ी आबादी के पास अपना घर नहीं था. बीते साढ़े चार वर्षों में इस दिशा में व्यापक सुधार हुआ है. वर्तमान सरकार ने 'जहां चाह-वहां राह' के भाव के अनुरूप उनके सपने को पूरा किया. 83 नए नगरीय निकाय गठित हुए. आज हर घर नल उपलब्ध हो रहा है तो 02.61 करोड़ शौचालय बनाये गए. ओडीएफ का लक्ष्य सबसे पहले शहरों में ही पूरा हुआ. उन्होंने कहा कि नगरीय सुविधाओं से जुड़ना व्यापक बदलाव का कारक बनता है. आज नगरों में गंदगी नहीं दिखती.
स्मार्ट सिटी मिशन में बेहतर प्रदर्शन के लिए उत्तर प्रदेश को मिले प्रथम पुरस्कार की चर्चा करते हुए सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने यूपी के 10 शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन से जोड़ा है. वहीं 07 अन्य शहरों को राज्य सरकार अपने संसाधनों से स्मार्ट बना रही है. इन शहरों में जो इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया गया था, कोरोना काल में कोविड कंट्रोल सेंटर के रूप में उसकी उपयोगिता हम सबने देखी है. सीएम ने कहा कि प्रदेश में तेज शहरीकरण ने अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार दी है. आने वाले दिनों में प्रदेश को 01 ट्रिलियन यूएस डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य भी जरूर पूरा होगा.