लखनऊ: विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर केजीएमयू में राष्ट्रीय अस्थमा के अभियान का आयोजन किया गया. इस दौरीन केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष, इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड अप्लाइड इम्यूनोलॉजी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत, जयपुर से वीरेंद्र सिंह और दिल्ली से जे. सी. खिलनानी बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए थे. विश्व में यह पहला अवसर है कि किसी चिकित्सा विषय में हिंदी भाषा में वेबिनार का आयोजन किया गया.
लखनऊ: विश्व अस्थमा दिवस पर केजीएमयू में वेबिनार का आयोजन - अस्थमा से पीड़ित
राजधानी लखनऊ के केजीएमयू में विश्व अस्थमा दिवस पर वेबिनार का आयोजन किया गया. इस दौरान उन तमाम मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसकी वजह से अस्थमा की बीमारी लोगों में फैलती जा रही है. इसके प्रति लोगों को कैसे जागरुक किया जा सके इसको लेकर वेबिनार का आयोजन हुआ.
भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं
भारत में पहला यह पहला वेबिनार था, जो कि चिकित्सीय विषय पर रोगियों के लिए आयोजित किया गया. डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि अस्थमा के रोगी की सांस की नली धूल और धुंआ एलर्जी के तत्वों के संपर्क में आने पर बंद हो जाती है, जिसमें अस्थमा रोगी की सांस फूलने लगती है. भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं. वहीं प्रदेश में भी लगभग 65 लाख लोग अस्थमा से पीड़ित हैं.
बच्चों में पिछले 20 वर्षों में तेजी से अस्थमा बढ़ा है
विश्व अस्थमा दिवस पर लोगों को अस्थमा के बारे में जागरूक करने, समय रहते अस्थमा को कैसे पहचाना जा सके और इसका इलाज कैसे मिल सकता है, इस पर हर साल विश्व अस्थमा दिवस के दिन चर्चा की जाती है. इस दौरान चर्चा में यह पता चला कि बच्चों में अस्थमा खासतौर पर पिछले 20 वर्षों में काफी तेजी से बढ़ा है,जिसमें एक प्रमुख कारण प्रदूषण को बताया गया. इसके साथ-साथ आजकल के बच्चों में खानपान को लेकर बने रूटीन की वजह से अस्थमा की बीमारी होने की संख्या तेजी से बढ़ी है.