लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पिछले पांच साल से पीपीपी मॉडल पर बस स्टेशन बनाने की कवायद चल रही है, लेकिन इसमें सरकार को सफलता नहीं मिल पा रही थी. अब बमुश्किल पांच बस स्टेशनों के नाम तय हो पाए हैं. इनका निर्माण पीपीपी मॉडल के रूप में किया जाएगा. लखनऊ में सिर्फ एक बस स्टेशन को ही फिलहाल पीपीपी मॉडल बस स्टेशन बनाने की कवायद शुरू होगी. इनमें लखनऊ में विभूति खंड बस स्टेशन का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में किया जाएगा (Vibhuti Khand bus station will be built in Lucknow).
आलमबाग बस स्टेशन की तर्ज पर बनेंगे बस अड्डे:लखनऊ का आलमबाग बस स्टेशन उत्तर प्रदेश का पीपीपी मॉडल पर बना पहला बस स्टेशन है. साल 2016 में एक बस स्टेशन बनकर तैयार हुआ था. इस बस स्टेशन की खूबसूरती देश-विदेश के लोगों को भी अपनी तरफ आकर्षित करती है. इसी बस स्टेशन की तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 23 बस स्टेशनों को बनाने का फैसला लिया था, लेकिन 2017 से लेकर 2022 तक एक भी बस स्टेशन की नीव पीपीपी मॉडल पर नहीं रखी जा सकी.
लखनऊ में बनेगा विभूति खंड बस स्टेशन, पांच साल बाद पीपीपी मॉडल पर पांच बस अड्डे बनाने के लिए निवेशक मिले - उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) को लखनऊ में पीपीपी मॉडल पर पांच बस स्टेशन बनाने के लिए निवेशक पांच साल बाद मिले हैं. लखनऊ में विभूति खंड बस स्टेशन बनेगा (Vibhuti Khand bus station will be built in Lucknow).
कई बार इसके लिए प्रयास किए गए, लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) को सफलता नहीं मिली. अब 2023 में पीपीपी मॉडल पर पांच बस स्टेशनों को बनाने की मंजूरी सरकार की तरफ से दो कंपनियों को दी गई है. अत्याधुनिक बस स्टैंड बनाने के लिए इन कंपनियों को लेटर आफ इंटेंट जारी किया गया है. 18 अन्य बस स्टेशनों के लिए परिवहन निगम की तरफ से टेंडर आमंत्रित किए गए हैं.
इन बस स्टेशनों का होगा निर्माण:पीपीपी मॉडल पर लखनऊ में विभूति खंड, प्रयागराज में सिविल लाइंस, आगरा में आगरा फोर्ट बस स्टैंड, गाजियाबाद में कौशांबी और पुराना गाजियाबाद बस स्टेशनों का निर्माण होगा.
कई बार हुई कोशिश, नहीं मिली सफलता: पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर प्रदेश में 23 बस स्टेशनों को बनाने के लिए कई बार उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की तरफ से कोशिश की गई. इसके लिए इन्वेस्टर्स समिट का भी आयोजन किया गया. महंगे होटलों में कई बार इन्वेस्टर्स के साथ बैठक भी हुई, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. 2016 में बनकर तैयार हुए पीपीपी मॉडल के पहले बस स्टेशन आलमबाग के बाद अब तक एक भी बस स्टेशन इस मॉडल पर नहीं बन सका. पांच साल बाद अब जाकर पांच बस स्टेशनों को बनाने की मंजूरी मिल पाई है.
इन कंपनियों को सौंपा जिम्मा: पीपीपी मॉडल के पांच बस स्टेशनों के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने दो कंपनियों को जिम्मा सौंपा है. पहले कंपनी ओमेक्स है, जो बड़ी-बड़ी सोसाइटीज का निर्माण करती है. बिल्डिंग के क्षेत्र के बड़ी कंपनी है. दूसरी कंपनी एजी एंटरप्राइजेज है. यही दोनों कंपनियां पीपीपी मॉडल पर पांच बस स्टेशन बनाएंगी.
अडानी ग्रुप ने खीच लिए थे हाथ: उत्तर प्रदेश में बनने वाले पीपीपी मॉडल के 23 बस स्टेशनों के लिए कई कंपनियों ने टेंडर में हिस्सा लिया था. इन कंपनियों में देश के नामी-गिरामी उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी भी शामिल थी, लेकिन कुछ माह पहले विश्व स्तर पर अडानी को बड़ा नुकसान हुआ और छवि धूमिल हुई. इसके बाद अडानी ग्रुप ने पीपीपी मॉडल के टेंडर से अपना नाम वापस ले लिया था.
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