लखनऊ :पिछले डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय में प्रदेश की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक बदलाव आया है. अब हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश में 27 नये नर्सिंग कॉलेज खोले जाने की घोषणा के बाद चिकित्सा क्षेत्र में नई बुलंदियों पर पहुंचने की उम्मीद की जा रही है. दिल्ली के बाद उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश चिकित्सा सेवाओं का सबसे बड़ा गढ़ बन चुका है. यहां इलाज कराने के लिए प्रदेशवासियों के साथ-साथ अन्य राज्यों और देशों से मरीज आने लगे हैं. कोरोना संकट के समय भी स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत काम किया गया. इससे संसाधनों का अभाव दूर हुआ और मरीजों को अच्छी सुविधाएं मिलने लगीं. एक नर्सिंग कॉलेज से प्रतिवर्ष बीएससी नर्सिंग की 100 सीटें निकलती हैं. इस तरह प्रदेश को 27 नये कॉलेज मिलने से बीएससी नर्सिंग की 2700 सीटें बढ़ जाएंगी. स्वाभाविक है कि इससे प्रदेश के भारी-भरकम चिकित्सा तंत्र को योग्य प्रशिक्षित कर्मी भी मिलेंगे और उन्हें इसके लिए कहीं बाहर नहीं जाना होगा.
गौरतलब है कि भारतीय नर्सों ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि दुनिया भर में अपने काम की बेहतरीन छाप छोड़ी है. यही कारण है कि खाड़ी देशों में 20 हजार से ज्यादा भारतीय नर्सें काम कर रही हैं. इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में 12 हजार अमेरिका में 16 हजार और ब्रिटेन में 26 हजार भारती नर्सें कार्यरत हैं. इससे पहले प्रदेश भर में महज 23 नर्सिंग कॉलेज काम कर रहे थे. यह नर्सिंग कॉलेज तो चिकित्सा तंत्र का महज एक हिस्सा हैं. प्रदेश में चिकित्सा क्षेत्र में बहुत बड़ा निवेश हुआ है और कई बड़े निजी चिकित्सालय प्रदेश में खुले हैं. राज्य सरकार भी हर जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना कर रही है. स्वभाविक है कि जिला स्तर के जिन मरीजों को सुदूर मेडिकल कॉलेजों में इलाज के लिए जाना पड़ता था, वह अब अपने ही जिले में इलाज पा सकेंगे. इन सभी मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा सेवाओं का दिनों दिन विकास किया जा रहा है. आधुनिक उपकरणों से लगाकर सभी जरूरी चिकित्सक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक स्वयं भी बहुत सक्रिय हैं. वह राजधानी से लेकर जिलों और कस्बों के निरंतर दौरे करते रहते हैं, ताकि चिकित्सा सेवाओं में खामियों को उजागर कर व्यवस्था दुरुस्त की जा सके.