लखनऊ:वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे विश्व को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया है. देश की बात करें तो यहां अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है और सबसे बड़ा असर रोजगार पर पड़ा है. उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां बेरोजगारी के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के सेवायोजन विभाग पर युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का भारी दबाव भी है. प्रदेश के सेवायोजन विभाग में 37 लाख 84 हजार 255 बेरोजगार पंजीकृत हैं. इन आकड़ों से समझा जा सकता है कि बेरोजगारी कहां तक पहुंच गई है. वहीं, पिछले चार सालों की बात करें तो सेवायोजन विभाग के माध्यम से चार लाख से ज्यादा युवाओं को रोजगार दिया जा चुका है ,जोकि विभाग की एक बड़ी उपलब्धि भी मानी जा रही है.
उत्तर प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारी की समस्या
उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. प्रदेश में इन दिनों 5 लाख से ज्यादा सरकारी पद खाली पड़े हैं. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश बेरोजगारी के मामले में देश में 11वें पायदान पर है. इस सर्वे के अनुसार उत्तर प्रदेश के 30 फीसदी युवाओं का मानना है कि बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है.
कोरोना ने छीन लिया रोजगार
देश में 2020 से ही कोरोना के वैश्विक महामारी के चलते सर्विस सेक्टर पर बुरा असर पड़ा है. इससे देश में बेरोजगारी का प्रतिशत भी बढ़ा है. वहीं, उत्तर प्रदेश में भी बेरोजगारी के आंकड़े सरकार की चिंता को बढ़ा रहे हैं. 2018 की तुलना में 2019 में यूपी में बेरोजगारी दर डबल हो गई है. सीएमआईई की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी की दर 2018 में 5.92 प्रतिशत थी, जबकि 2019 में 9.97 प्रतिशत हो गई. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार कि देश में राजस्थान में बेरोजगारी का आंकड़ा 27.6 फीसदी है, जबकि उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी की दर 6.9 फीसदी है. प्रदेश सरकार की नीतियों की बदौलत 2017 के मुकाबले 2020 में स्थिति काफी सुधरी है. क्योंकि 2017 में बेरोजगारी दर का प्रतिशत 17.5 फीसदी था. मिशन रोजगार के अंतर्गत सरकार के 4 सालों में चार लाख से ज्यादा लोगों को सरकारी नौकरी दी गई तो वहीं 15 लाख से अधिक लोगों को निजी क्षेत्र में रोजगार दिए गए हैं.