लखनऊ : उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने विधानसभा में सूखे एवं बाढ़ की स्थिति पर चर्चा की. विपक्ष के लगाये गये आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि 'प्रदेश की योगी सरकार किसानों के हित में कार्य कर रही है. किसान, गांव व खेतों के लिए कार्य किया जा रहा है. फसलों की सिंचाई में व्यवधान न आये, इसके लिए 11 केवी के कृषि फीडरों से दिन में 10 घंटे (सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक) विद्युत आपूर्ति की जा रही है. यूपीपीसीएल ने यह भी निर्णय लिया है कि स्थानीय कारणों व फाल्ट से किसानों के लिए निर्धारित 10 घंटे की विद्युत आपूर्ति में बाधा आती है तो उसकी पूर्ति निर्धारित रोस्टर के बाद हर हाल में की जायेगी. उन्होंने कहा कि योगी सरकार सभी क्षेत्रों को निर्धारित शिड्यूल के अनुरूप शहरों को 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों को 22 घंटे, ग्रामीण क्षेत्रों को 18 घंटे बिजली दे रही है. इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं है. चाहे मऊ, गोरखपुर व वाराणसी हो या अन्य कोई जिला हो. जैसे कि पिछली सरकारों में सैफई, इटावा को ही बिजली मिलती थी और इटावा के किसी गांव से तो कभी बिल वसूला ही नहीं गया, लेकिन हम पूरे प्रदेश को बिजली दे रहे हैं, इसीलिए तो बिजली बिल भी मांग रहे हैं.'
अधिकतम मांग 28284 मेगावाट रही :ऊर्जा मंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे विद्युत आपूर्ति न होने के आरोपों पर कहा कि 'वैसे तो सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के लिए निर्धारित 18 घंटे की विद्युत आपूर्ति को देने का पूरा प्रयास कर रही है फिर भी भीषण गर्मी, आंधी, तूफान या अन्य स्थानीय व्यवधानों व फाल्टों के कारण 18 घंटे के रोस्टर के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों को विद्युत आपूर्ति न होने पर 17 जून को यूपीपीसीएल ने इस सम्बंध में एक आदेश जारी किया है कि विद्युत आपूर्ति की उस कमी को शिड्यूल के बाद पूरा किया जाए. उन्होंने खासतौर से आजमगढ़, गाजीपुर के विपक्ष के विधायकों की तरफ से विद्युत आपूर्ति में गड़बड़ी और ट्रांसफार्मर बदलने में देरी के आरोपों पर कहा कि वर्ष 2012 से 2017 तक प्रदेश में 13 हजार मेगावाट विद्युत की उच्चतम मांग थी और 2016-17 में पीक डिमांड 16110 मेगावाट रही, जबकि वर्तमान में 25 हजार से 28 हजार मेगावाट डिमांड चल रही है. इस वर्ष की अधिकतम मांग 28284 मेगावाट रही. अभी नौ अगस्त को 16494 मेगावाट प्रदेश की सबसे कम डिमांड थी. इसी तरह वर्ष 2022-23 में पूरे देश में 15.11 लाख मिलियन यूनिट बिजली की खपत हुई, जिसमें महाराष्ट्र की 12 प्रतिशत सर्वाधिक खपत रही, इसके बाद उत्तर प्रदेश की 9.5 प्रतिशत खपत रही. वर्ष 2022-23 में महाराष्ट्र की पीक डिमांड 28,846 मेगावाट थी और उत्तर प्रदेश की पीक डिमांड 28,284 मेगावाट रही. जो साबित कर रहा है कि हम देश में सर्वाधिक विद्युत उपभोगकर्ता बनने जा रहे हैं.'