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कैसे होगा कांग्रेस का बेड़ा पार, वरिष्ठों को है प्रियंका का इंतजार

उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होना है. सभी पार्टियों में हलचल भी तेज हो गई है, लेकिन कांग्रेसियों को अभी प्रियंका गांधी का इंतजार है. बीते डेढ़ से प्रियंका गांधी लखनऊ के कांग्रेस मुख्यालय पर नहीं आई हैं.

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Published : Jun 29, 2021, 9:50 AM IST

Updated : Jun 29, 2021, 12:51 PM IST

कांग्रेसियों को प्रियंका का इंतजार
कांग्रेसियों को प्रियंका का इंतजार

लखनऊः उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों की हलचल ने विधानसभा चुनाव का संकेत दे दिया है. बीजेपी, सपा, बसपा और अन्य छोटे क्षेत्रिय दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में लग गए हैं. वहीं देश की सबसे पुरानी पार्टी भारतीय नेशनल कांग्रेस के प्रदेश कार्यकर्ताओं को अभी अपनी नेता प्रियंका गांधी का इंतजार है. कांग्रेस कार्यकर्ता प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने का दम भर रहे हैं, वहीं प्रियंका गांधी बीते डेढ़ साल से पार्टी के मुख्यालय तक नहीं पहुंची हैं.

प्रियंका के यूपी की कमान संभालने के बाद से कार्यकर्ताओं में जोश जरूर आया, पार्टी विभिन्न मुद्दों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी करती रही, लेकिन सटीक दिशा-निर्देश की कमी के चलते संगठन एकता की कमी से जूझ रहा है. शायद यही वजह है कि अभी हाल ही में कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाने वाले जितिन प्रसाद पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. एक नेता ने तो प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर पक्षपात करने जैसा गंभीर आरोप भी लगाया है. ऐसे में नेतृत्व के कड़े दिशा-निर्देश की कमी पार्टी पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है. माना जा रहा है कि ऐसा सिर्फ प्रियंका गांधी का यूपी में कम मौजूदगी की वजह से हो रहा है, क्योंकि पार्टी की सही गतिविधियां उनतक नहीं पहुंच रही है.

ऐसा नहीं है कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश नहीं आईं. इस दौरान उन्होंने प्रदेश के तमाम जिलों में उन्होंने दौरे किए, लेकिन कांग्रेस मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं से प्रियंका ने पिछली बार दिसंबर 2019 में ही भेंट की थीं. ऐसे में प्रियंका की निष्क्रियता सक्रिय कार्यकर्ताओं को भी सोचने को मजबूर कर रही है. हालांकि कांग्रेस के नेता यह नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने से ही कांग्रेस का डंका बजना शुरू हुआ है और 2022 के विधानसभा चुनाव में इसका असर जरूर देखने को मिलेगा.

कांग्रेसियों को है प्रियंका का इंतजार

कांग्रेस को संजीवनी की उम्मीद

प्रियंका गांधी वाड्रा जब तक सक्रिय राजनीति में नहीं आई थीं, तब तक कांग्रेसियों को आशा थी कि एक्टिव पॉलिटिक्स में कदम रखते ही प्रियंका का डंका बजेगा. इससे कांग्रेस को संजीवनी मिल जाएगी. लिहाजा कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका को ट्रम्प कार्ड के रूप में यूज़ करना चाहा. प्रियंका को उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की कमान सौंपी. उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया. लोकसभा चुनाव प्रियंका जी अग्नि परीक्षा थी जिसमें वह सफल न हो पाईं.

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प्रियंका गांधी ने स्वयं अपने भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी की अमेठी और रायबरेली की सीट पर डेरा डाल दिया, लेकिन भाई राहुल गांधी चुनाव हार गए. हालांकि मां सोनिया गांधी उत्तर प्रदेश में एकमात्र सीट कांग्रेस को जिताने में सफल हुईं, लेकिन इसमें प्रियंका का कोई खास योगदान नहीं माना गया. सोनिया गांधी की अपनी इमेज थी. अब 2022 के विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है. इस चुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिए नेता रणनीति बना रहे हैं.

सभी को साथ लाने का प्रयास

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी फिर से सक्रिय होने की कोशिश कर रही हैं. कुछ माह पहले किसान महापंचायत को संबोधित कर, किसानों के बीच जाकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी को किसानों का सबसे बड़ी हितैषी पार्टी साबित करने में जुटीं थीं. हिन्दू-मुस्लिम, सिख और ईसाई वोटर्स को लुभाने के लिए प्रियंका मंदिर और दरगाह पर जा रही हैं तो गुरुदारा और चर्च की भी फोटो शेयर कर सिख और ईसाईयों को भी लुभाने की कोशिश कर रही हैं. गंगा में डुबकी लगा रही हैं. संतों का आशीर्वाद ले रही हैं.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेसियों की एकमात्र उम्मीद है प्रियंका गांधी वाड्रा. आजमगढ़ हो या सहारनपुर, उम्भा हो या हाथरस, इन जिलों में हुई घटनाओं के बाद प्रियंका पीड़ितों से मिलकर सभी वर्ग को कांग्रेस के साथ लाने की कोशिशों में जुटी हैं. भले ही प्रियंका को 2019 के लोकसभा चुनावों में पसीना बहाने के बावजूद प्रतिफल न मिल पाया हो, लेकिन पिछले साल विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस के मत प्रतिशत में इजाफा जरूर हुआ है.

इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी को कई सीटों पर पटखनी दी थी. हालांकि यहां पर भी कांग्रेस पार्टी अपनी सीटों का सूखा खत्म नहीं कर पाई थी, लेकिन मत प्रतिशत बढ़ने से ही कांग्रेसियों में एक उम्मीद जरूर जाग गई है. इसी के सहारे 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस करिश्माई प्रदर्शन की आस लगाए हैं.

हिंदुओं को रिझाने की कोशिश

प्रियंका को भी शायद अब समझ आ गया है कि उत्तर प्रदेश में अगर कांग्रेस को फिर से जिंदा करना है तो हिंदुओं को साथ लेकर ही सत्ता की कुर्सी तक पहुंचा जा सकता है. लिहाजा कलाई में रुद्राक्ष की माला लपेट मंदिरों में पूजा-पाठ कर संतों का आशीर्वाद लेने पर फोकस कर रही हैं.

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सीएम के लिए प्रियंका का फेस चाहते हैं कांग्रेसी

उत्तर प्रदेश में कांग्रेसी चाहते हैं कि प्रियंका गांधी को पार्टी मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करे. जिससे पार्टी को चुनाव में फायदा मिल सके. हालांकि पार्टी अभी इस मामले में अपने पत्ते नहीं खोल रही है. अभी हाल में ही पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के बयान से कांग्रेसियों में उम्मीद की किरण जरूर जगी, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री के चेहर पर कहा कि किसी भी पार्टी के चेहरे से अच्छी है प्रियंका की तस्वीर.

कांग्रेस मुख्यालय लखनऊ



उपचुनाव में बढ़ा कांग्रेस का वोट प्रतिशत

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव कहते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भले ही पार्टी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाई हो, लेकिन पिछले साल जो विधानसभा उपचुनाव हुए उसमें कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक जरूर रहा. वोटों के लिहाज से कांग्रेस के मत प्रतिशत में 12% का इजाफा हुआ. इसे ही पार्टी अपनी उपलब्धि मान रही है. उनका कहना है कि उपचुनाव के नतीजों ने साबित किया है कि विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस का ही साथ देगी.

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कांग्रेस प्रवक्ता कहते हैं कि विधानसभा उपचुनाव में हमारा मत प्रतिशत 12 फीसद बढ़ा है. यह प्रियंका का ही असर है. कांग्रेस ने सभी सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ा और तीन सीटों पर सीधे भाजपा को टक्कर दी. न्याय पंचायत स्तर पर कांग्रेस पार्टी काफी मजबूत हुई है. पंचायत चुनाव में सिंबल पर भले हिस्सा नहीं लिया, लेकिन पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और विधानसभा चुनाव में अच्छे परिणाम आने की आधारशिला रख दी. हमें पूरी उम्मीद है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी और प्रियंका का असर जरूर दिखेगा.


प्रियंका की वजह से पार्टी हारी अमेठी सीटः बीजेपी

वहीं बीजेपी का कहना है कि प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में सिर्फ पॉलिटिकल टूरिस्ट हैं. पिछले डेढ़ साल से वह लखनऊ नहीं आई हैं. प्रियंका गांधी का टेस्ट तो पहले ही हो चुका है. अमेठी सीट जो लगातार कांग्रेस पार्टी जीतती रही, लेकिन जब प्रियंका गांधी ने इस सीट का चुनाव प्रबंधन अपने हाथ में लिया तो अपने भाई राहुल गांधी को ही हरवा दिया. कांग्रेस पार्टी के बारे में उत्तर प्रदेश की जनता की राय क्या है यह पार्टी पहले ही जान चुकी है. अब अगर कांग्रेस पार्टी प्रियंका गांधी को आगे लाना चाहती है तो लाए, लेकिन कांग्रेस पार्टी के दिन लगातार कम होते जा रहे हैं.

Last Updated : Jun 29, 2021, 12:51 PM IST

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