लखनऊ:प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने कमर कस ली है. इसके तहत भाजपा के कार्यकर्ता के साथ बड़े नेता भी योगी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं. योगी सरकार के पिछले साढ़े चार साल में किए गए कार्यों के आधार पर भाजपा एक बार फिर 2022 में सत्ता पर काबिज होने की रणनीति बनाई है. इसी रणनीति के तहत विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण को मुद्दा बनाने में जुट गई है.
भाजपा अवैध धर्मांतरण मामले में लगातार हो रही कार्रवाई और 2020 में धर्मांतरण को लेकर बनाए गए कानून को मुद्दा बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. माना जा रहा है कि इस मुद्दे को लेकर भाजपा आने वाले दिनों में जनता के बीच रखेगी. राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार मनीष मिश्र का कहना है कि विपक्ष की धार कमजोर पड़ती जा रही है. इसी कारण विपक्षी दलों के बड़े नेता इस मामले में खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं.
अवैध धर्मांतरण को चुनावी मुद्दा बनाने में जुटी भाजपा. विपक्षी दलों की खामोशी से भाजपा को मिल रही मजबूती
बता दें कि योगी सरकार ने पहले गैर कानूनी धर्मांतरण विधेयक 2020 पास कर कानून बनाया और फिर एटीएस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. एटीएस ने इस साल जून में देशभर में एक हजार से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन करवा चुके दो मौलानाओं मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर को गिरफ्तार किया. इन लोगों ने नौकरी, शादी और पैसे का लालच देकर लोगों का धर्मांतरण कराया. अवैध धर्मांतरण मामले में अब मेरठ से एक और मौलाना कलीम सिद्दीकी को पकड़ा गया है. अभी तक एटीएस कुल 11 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. बावजूद इसके इस मुद्दे पर सेक्यूलर पार्टियां खामोश हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो विपक्षी दलों की खामोशी भाजपा के एजेंडे को मज़बूती दे रही है. धर्मांतरण के मुद्दे को भाजपा चुनावों में भुना सकती है, विपक्षी पार्टियों को इसका पूरा आभास है. बावजूद इसके मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष खुल कर बोल नहीं रहा है.
चुनावी फिजा बनाने के लिए अवैध धर्मांतरण मुद्दा कारगर
भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे पर भी लगातार मुखर रही है. हिंदुत्व का झंडा लेकर चलने वाली इस पार्टी को पता है कि अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन करने वालों पर एक्शन लेकर किस तरह चुनावी फिजा बनाई जा सकती है. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धर्मांतरण के मुद्दे पर अपने कड़े विचार जाहिर कर चुके हैं. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दूबे के कहना है कि 'साजिश के तहत मूक-बधिर लोगों को प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना बिल्कुल गलत हैं और इस तरह की साजिश सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने के लिए की जा रही है. दुर्भाग्य की बात है कि उत्तर प्रदेश में यह गैंग काफी समय से सक्रिय हैं. देश के कई शहरों में इनका नेटवर्क हैं. पूर्ववर्ती सरकारों में तुष्टिकरण के लिए ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं करती थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में ऐसे लोगों के मंसूबों को न तो कामयाब होने देंगे और न ही ऐसे लोग बच पाएंगे. धर्मांतरण के ऐसे मुद्दों पर लगातार कार्रवाई हो रही है और जो लोग इस तरह के गलत कामों में लिप्त हैं, उनको कानून के दायरे में लाकर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
चुनाव आते ही भाजपा सांप्रदायिक मुद्दे उठाने लगती हैः कांग्रेस
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने कहा, मौलाना कलीम सिद्दीकी एक बहुत ही बड़े मौलाना हैं. इस्लामी जगत और बाहर दूसरे समाज में भी उनकी इज्जत है. शाहनवाज आलम कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी हमेशा इस बात को मानती है कि पिछले कई वर्षों से भाजपा द्वारा चुनाव के समय यह काम किया जाता है, ताकि इसे मुद्दा बनाया जा सके. जैसे-जैसे चुनाव करीब आएंगे भाजपा के सामने संकट बढ़ता जाएगा कि वह क्या मुद्दे लेकर जनता के सामने जाएं. क्योंकि इन्होंने प्रचंड बहुमत के बावजूद कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे इन्हें दोबारा वोट मांगने का साहस हो.
कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी भाजपा का चुनावी हथकंडाः सपा
सपा प्रवक्ता नावेद सिद्दीकी ने इस गिरफ्तारी को चुनावी हथकंडा बताया है.' उन्होंने कहा, 'हजरत मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी बीजेपी का यूपी विधानसभा चुनाव जीतने का हथकंडा है. जनता की नाराजगी से परेशान बीजेपी लोगों में दहशत का माहौल पैदा करके, समाज को बांटकर चुनाव जीतना चाहती है.' वहीं आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता महेश सिंह ने भी योगी सरकार पर मुसलमानों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 'मौलाना की गिरफ्तारी गलत है. बीजेपी सरकार के पास मुसलमानों को परेशान करने के अलावा कोई काम नहीं.
कौन है मौलाना कलीम सिद्दीकी?
गौरतलब है कि एटीएस की गिरफ्त में आए मौलाना कलीम सिद्दीकी मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया के प्रबंधक हैं. मौलाना इस मदरसे की 1987 से देखभाल कर रहे हैं. मौलाना का परिवार करीब 15 साल से दिल्ली के शाहीनबाग में रहता है. उनके मदरसे में दिल्ली, बिहार, राजस्थान हरियाणा, पंजाब, गुजरात आदि राज्यों के 300 से ज्यादा बच्चे रहकर पढ़ते हैं. फिलहाल मदरसे से ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही हैं. कई राज्यों में उनके मदरसे की शाखाएं हैं. मौलाना कलीम सिद्दीकी से मदरसों में खाड़ी देशों से फंडिंग की जानकारी मिली है. इनमें सऊदी अरब और यूएई आदि देश शामिल हैं. मौलाना ने इन देशों की यात्रा भी की है.
अवैध धर्मांतरण का सिंडीकेट का ऐसे हुआ था खुलासा
UP ATS बीते 20 जून को यूपी से लेकर 24 राज्यों में फैले अवैध धर्मांतरण का सिंडीकेट का खुलासा किया था. संगठित रूप से मूक-बधिर बच्चों, महिलाओं व कमजोर आय वर्ग के लोगों को डरा-धमकाकर तथा उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन देकर उनका धर्मांतरण कराए जाने के मामले में दिल्ली निवासी उमर गौतम व मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी को गिरफ्तार किया था. इन लोगों ने कई राज्यों में करीब 1000 लोगों के धर्मान्तरण कराने की बात कुबूली थी. उमर गौतम दिल्ली से संचालित संस्था इस्लामिक दावा सेंटर (IDC) के जरिए अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहा था. तब प्रदेश के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, केरल व आंध्र प्रदेश तक में धर्मांतरण कराए जाने के साक्ष्य मिले थे. युवतियों का धर्मांतरण कराकर उनकी मुस्लिम युवकों से शादी कराने के मामले भी सामने आए थे. एटीएस ने बीते दिनों उमर के सक्रिय साथी हरियाणा निवासी मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, महाराष्ट्र के निवासी इरफान शेख व दिल्ली निवासी राहुल भोला को भी गिरफ्तार किया था. इस मामले में अब तक 11 आरोपितों की गिरफ्तार की जा चुकी है.
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-धर्मांतरण केस
- 20 जून 2021को यूपी एटीएस ने नई दिल्ली के इस्लामिक दावा सेंटर से जुड़े उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर की गिरफ्तारी के साथ ही देशभर में अवैध धर्मांतरण के रैकेट का भंडाफोड़ किया था. यूपी एटीएस ने दावा किया कि उस सेंटर के जरिए 1000 से अधिक महिलाओं और मूक बधिर बच्चों, नौजवानों को लालच देकर और उनके मन में दूसरे धर्म के प्रति नफरत पैदा कर धर्मांतरण किया गया है.
- 20 अगस्त 2021को दिल्ली के इस्लामिक दावा सेंटर के जरिए अवैध धर्मांतरण का रैकेट चलाने वाले गिरोह का खुलासा करने वाली यूपी एटीएस ने 60 दिन की जांच के बाद 6 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है. चार्जशीट में साफ कहा गया है कि विदेशी फंडिंग से देशव्यापी अवैध धर्मांतरण हो रहा है. यूपी एटीएस ने इस मामले में गिरफ्तार किए गए उमर गौतम, मुफ्ती काजी जहांगीर के साथ-साथ धर्मांतरण कर चुके राहुल भोला उर्फ राहुल अहमद, मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान के साथ इरफान शेख और फॉरेन फंडिंग कराने वाले सलाउद्दीन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.
- एटीएस ने जांच की तो पता चला कि उमर गौतम कई संस्थाओं के जरिए बड़े पैमाने पर विदेशी फंडिंग लेकर इस अवैध धर्मांतरण के अभियान को चला रहा है. यूपी एटीएस ने दूसरी बार एक बड़ी गिरफ्तारी की, जिसमें गुडगांव का रहने वाला मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, राहुल भोला उर्फ राहुल अहमद भी शामिल था. जांच के दौरान खुलासा हुआ कि मन्नू यादव से अब्दुल मन्नान बनने वाला पहले खुद धर्मांतरण का शिकार हुआ, लेकिन फिर बाद में खुद धर्मांतरण के रैकेट का हिस्सा बन गया और लोगों का धर्मांतरण करने लगा.
- यूपी एटीएस ने महाराष्ट्र के बीड़ से गिरफ्तार इरफान ख्वाजा खान के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की है. इरफान ख्वाजा खान मिनिस्ट्री ऑफ़ चाइल्ड वेलफेयर में ट्रांसलेटर का काम कर चुका था और उसने दो बार प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों को पीएम के सामने ही मूक-बधिर बच्चों को समझाया भी था. यूपी एटीएस की चार्जशीट में आरोप है कि इरफान ख्वाजा मूक बधिर बच्चों को उनकी ही भाषा में समझाता था और धर्मांतरण के लिए प्रेरित करता था.
- एटीएस ने हवाला के जरिए विदेशी फंडिंग कराने में अहम भूमिका निभा रहे सलाउद्दीन के खिलाफ भी चार्जशीट लगाई है. गुजरात के वडोदरा से गिरफ्तार किए गए सलाउद्दीन के जरिए ही उमर गौतम और काजी जहांगीर को विदेशी फंड मुहैया कराया जा रहा था.
- एटीएस ने गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ करने और उनकी निशानदेही पर बरामद दस्तावेजों के आधार पर आईपीसी की धारा 417/120 बी/ 153ए/ 153बी 295ए /298 और 3/5/8 उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मसंपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 के तहत चार्जशीट दाखिल की है.
- एटीएस ने इस मामले में अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें महाराष्ट्र से पकड़े गए प्रसाद कावरे उर्फ एडम, अर्सलान उर्फ़ भूप्रिय बंदो, कौसर आलम, डॉक्टर फराज़ शामिल है. गिरफ्तार किए गए कुल 10 आरोपियों में यूपी एटीएस ने फिलहाल छह आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है. बाकी चार आरोपियों के लिए यूपी एटीएस की जांच जारी है और जल्द ही बाकी चार आरोपियों के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की जाएगी.