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एसटीएफ के हत्थे चढ़े नौकरी का झांसा देकर करोड़ों की ठगी करने वाले

लोगों को नौकरी देने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले दो ठगों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार ठगों की पहचान अलीगंज निवासी मयूर मोहन श्रीवास्तव और सर्वोदय नगर निवासी मोबीन अहमद के रुप में की गई है.

नौकरी के नाम पर ठगी
नौकरी के नाम पर ठगी

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Published : Jan 16, 2021, 5:21 PM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में अभियान चलाकर ठगों के गिरोह पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया है. अभियान बेरोजगारों को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों से ठगी करने वालों के खिलाफ चलाया जा रहा है. एसटीएफ की टीम ने अभियान के तहत बेरोजगारी के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह के सरगना समेत एक जालसाज को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए ठगों की पहचान अलीगंज निवासी मयूर मोहन श्रीवास्तव और सर्वोदय नगर निवासी मोबीन अहमद के रूप में की गई है. पकड़े गए जालसाजों के पास से एफसीआई के फर्जी परिचय पत्र, 25 प्रवेश पत्र, केंद्रीय विद्यालय संगठन के फर्जी 16 पत्र भी बरामद हुए हैं.

राजनेता या ऊंची पहुंच वालों के करीबी को बनाता था शिकार

एसटीएफ से मिली जानकारी के मुताबिक, यह गिरोह ऐसे लोगों को ठगा करता था जो किसी नेता या फिर किसी ऊंची पहुंच वाले के करीबी हों. वहीं इनके ठगी के शिकार हुए लोगों में पूर्व विधायक का करीबी भी बताया गया है. यह जालसाज बेरोजगारों को भरोसे में लेने के लिए उन्हें सरकारी कार्यालयों में भी ले जाया करते थे. उन्होंने बताया कि शातिर ठग मयूर मोहन श्रीवास्तव और सर्वोदय नगर निवासी मोबीन अहमद को गिरफ्तार किया गया है. इन दोनों के अलावा दीपक गुप्ता नामक व्यक्ति का नाम भी सामने आया है, जिसकी तलाश की जा रही है. एसटीएफ के मुताबिक ये शातिर ठग सचिवालय, पशुधन विभाग, भारतीय रेलवे, फ़ूड कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया, केंद्रीय विद्यालय संगठन, एनटीपीसी रायबरेली, दिल्ली पुलिस होमगार्ड में विभिन्न पदों पर स्थाई और संविदा पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों को ठगते थे. एसटीएफ ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ लखनऊ के गाजीपुर थाने में 30 जुलाई 2020 को, अरविंद 27 सितंबर, 2020 को राहुल कुमार सिंह ने और संजय सिंह ने मुकदमा दर्ज करवाया है.

100 से ज्यादा युवकों के साथ ठगी

एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी मयूर मोहन ने बताया कि वह पहले एक निजी मोबाइल कंपनी में टीम लीडर और एक स्कूल में शिक्षक था. वह साल 2013 से इस धंधे से जुड़ा हुआ है. उसने बताया कि लोगों को शिकार बनाने के लिए उसका गिरोह बेरोजगार युवकों से चाय की दुकान पर संपर्क करता था. इसके बाद उन्हें सरकारी भवनों में साथ ले जाते थे और नौकरी दिलवाने का झांसा देते थे. झांसे में आने के बाद उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र, फर्जी ज्वाइनिंग लेटर और फर्जी वेब पेज पर नाम टाइप कर नौकरी लग जाने का विश्वास दिलाते थे. इन जालसाजों ने पूछताछ में बताया कि वे बेरोजगारों को भरोसे में लेने के लिए अलग-अलग शहरों में ले जाया करते थे. जैसे एफसीआई में नौकरी लगवाने के नाम पर नोएडा, गोमती नगर लखनऊ और बलिया के कार्यालयों और फील्ड यूनिट में ले जाया जाता था. इसी तरह केंद्रीय विद्यालय के लिए विभिन्न रीजनल ऑफिस जैसे अलीगंज लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा ले जाया जाता था. करीब 6 माह के दौरान यह गिरोह एफसीआई में नौकरी दिलाने के नाम पर 49 लाख और केंद्रीय विद्यालय के लिए 100 से ज्यादा युवकों से दो करोड़ रुपयों से अधिक की ठगी कर चुका है.

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