लखनऊ: यूपी में एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल पर सरकार सख्त हो गई है. साढ़े पांच सौ से अधिक स्टाफ को नौकरी से बाहर कर दिया गया है, वहीं एकाएक दैनिक मानदेय पर कर्मियों की तैनाती कर सेवा बहाली के दावे किए गए हैं. मगर, वेंटीलेटर युक्त एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस (एएलएस) संचालन में गुरुवार को भी आफत रही. इसके कई वाहनों पर नया स्टाफ आया है, जोकि वेंटीलेटर शिफ्टिंग और क्रिटकल केयर पेशेंट मैनेजमेंट में अनट्रेंड है.
राजधानी के वृंदावन योजना ट्रॉमा-टू के पास पांचवें दिन भी एंबुलेंस कर्मियों का प्रदर्शन चलता रहा. इसमें अधिकतर निष्कासित किए जा चुके हैं. वहीं ऐसे नामों को भी तलाशा जा रहा है जो अल्टीमेटम के बाद भी ड्यूटी पर नहीं आये हैं. इन्हें भी नौकरी से बाहर किया जाएगा. उधर, अभी दैनिक मानदेय पर चालकों की भर्ती की गई है. इसके अलावा कंपनी में जमा रिज्यूम को भी खंगालकर तुरन्त ज्वाइनिंग के लिए कॉल की जा रही है. उधर, इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) की तैनाती चुनौती बनी हुई है. इनका काम एम्बुलेन्स में आए गंभीर मरीज को तत्काल मैनेज कर अस्पताल पहुंचाना है. इसके लिए जिलों में तैनात कम्युनिटी हेल्थ वर्कर को एम्बुलेंस में तैनाती के निर्देश दिए हैं. मगर, एएलएस सेवा के लिए वेंटीलेटर संचालन में यह भी ट्रेंड नहीं हैं. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक कर्मियों की हड़ताल से दिक्कतें आई हैं. समस्या को जल्द दूर कर लिया जाएगा. वहीं, जीवनदायनी स्वास्थ्य विभाग 108-102 एंबुलेंस संघ के पदाधिकारियों का धरना जारी है.
एम्बुलेंस में अनट्रेंड स्टाफ, वेंटीलेटर पर शिफ्टिंग में आफत - उत्तर प्रदेश खबर
राजधानी के वृंदावन योजना ट्रॉमा-टू के पास पांचवें दिन भी एंबुलेंस कर्मियों का प्रदर्शन चलता रहा. जिसको लेकर सरकार सख्त हो गई है. लगभग अबतक साढ़े पांच सौ से अधिक स्टाफ को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है.
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दरअसल, राज्य में तीन तरह की एंबुलेंस सेवा संचालित हैं. इसमें 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा के 2200 वाहन हैं. इससे रोज औसतन 9500 मरीज अस्पताल शिफ्ट किए जाते हैं. वहीं गर्भवती, प्रसूता, बनवजात को अस्पताल पहुंचाने के लिए 102 एंबुलेंस सेवा है. इसके राज्यभर में 2270 वाहन संचालित हैं. इस एम्बुलेंस से रोज औसतन 9500 मरीज जाते हैं. गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर युक्त एंबुलेंस 75 जनपदों में 250 तैनात की गई हैं. इससे 500 के करीब मरीजों की मदद की जाती रही. इन सभी एंबुलेंस के संचालन की बागडोर निजी कंपनी के पास है.