लखनऊ : राजधानी लखनऊ के कई जिला अस्पताल में पिछले एक हफ्ते से थायराइड की जांच बंद है. इसकी जांच के लिए थायराइड किट आती है. बताया जा रहा है कि कई अस्पतालों में थायराइड की किट खत्म हो गई है तो कई अस्पताल में मशीन खराब है, जिसके चलते मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बता दें कि वर्तमान समय में वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल, सिविल अस्पताल समेत कई अस्पताल में थायराइड की जांच नहीं हो रही है. दरअसल, किसी अस्पताल में थायराइड किट खत्म है तो किसी अस्पताल में मशीन खराब है, जिसके चलते थायराइड की जांच नहीं हो पा रही है. अस्पताल में रोजाना लगभग 500 से अधिक मरीज ऐसे होते हैं जो जनरल फिजिशियन, नाक, कान और गला विभाग में इलाज के लिए पहुंचते हैं, जहां पर विशेषज्ञ डॉक्टर उन्हें अल्ट्रासाउंड, खून की सभी जांच और थायराइड जांच के लिए लिखते हैं.
अस्पताल में मरीजों की कतार
सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि 'अस्पताल में इस समय थायराइड किट खत्म है. किट के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. जांच किट आते ही थायराइड की जांच फिर से शुरू हो जाएगी, लेकिन अस्पताल के ही कुछ कर्मचारियों का कहना है कि मशीन खराब होने के चलते थायराइड की जांच नहीं हो रही है, वहीं हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, थायराइड मशीन का सर्वर खराब चल रहा है, जिसके चलते जांच नहीं हो पा रही है.'
थायराइड के लक्षण
- घबराहट.
- अनिद्रा.
- चिड़चिड़ापन.
- हाथों का कांपना.
- अधिक पसीना आना.
- दिल की धड़कन बढ़ना.
- बालों का पतला होना एवं झड़ना.
- मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना.
'अस्पतालों में होनी चाहिए प्राथमिक जांच' : तीमारदार सतीश पांडेय ने कहा कि 'जिला अस्पतालों में पैथोलॉजी में कई जांच नहीं हो पाती हैं. इसके पीछे कई कारण हैं, लेकिन प्राथमिक जांच सभी अस्पतालों में होनी चाहिए, जोकि बहुत आवश्यक है, वरना प्रश्न हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर खड़ा होता है. यहां पर रोजाना हजारों लोग इलाज के लिए आते हैं, जिनकी अलग-अलग जांच लिखी जाती है. किसी को थायराइड लिखी जाती है तो किसी को ब्लड शुगर या फिर विटामिन की जांच लिखी जाती है. ऐसे में कुछ जांचें तो यहां हो जाती हैं, लेकिन कुछ जांच यहां पर नहीं होती हैं. जिसकी वजह से मरीज को निजी सेंटरों पर जाकर जांच करनी पड़ती है, जहां की कीमत से चार गुना है. सरकार को चाहिए कि वह अस्पतालों में व्यवस्था पूरी रखें. अगर थायराइड किट खत्म हो रही है तो उसे लाने में महीना बीत जाता है. मशीन खराब होती है तो उन्हें बनने में महीनों लग जाते हैं.'
जांच के लिए मरीजों को मिल रही तारीख
ऐशबाग निवासी रविशंकर गौतम ने बताया कि 'वह अपनी मम्मी का इलाज कराने के लिए सिविल अस्पताल आए हैं और यहां से उनका इलाज चल रहा है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में जो जांच नहीं हो रही है, जिसमें थायराइड व विटामिन बी12 शामिल है. बहुत सारे मरीज जांच नहीं होने के कारण वापस लौट गए हैं. उन्होंने कहा कि अस्पताल में बहुत ही निम्न और गरीब वर्ग के लोग अधिक आते हैं और जब यहां पर उन्हें सारी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं तो वह बहुत परेशान हो जाते हैं, इसलिए यहां पर व्यवस्थाएं होनी चाहिए. सरकार से गुजारिश है कि जो चीज यहां पर नहीं है, वह उपलब्ध कराएं ताकि मरीजों को उसका लाभ मिल सके. यहां पर मरीजों की संख्या भी अधिक है. उस हिसाब से डॉक्टर, दवा, कर्मचारी और फैसेलिटीज भी अधिक होनी चाहिए, ताकि सभी मरीजों को उसका लाभ मिल सके.'
अस्पताल में मरीज
जानें क्या है थायराइड : सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एस देव के मुताबिक, 'थायराइड ग्रंथि की अतिसक्रियता के कारण शरीर में मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है. थायराइड से सम्बन्धित बीमारी अस्वस्थ खान-पान और तनावपूर्ण जीवन जीने के कारण होती है. हाईकैलोरी फूड का सेवन करने से वजन बढ़ जाता है और यह थायराइड ग्रन्थि में हॉर्मोन के उत्पादन क्षमता को प्रभावित करता है, इसलिए हाई कैलोरी फूड का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए. थायराइड रोग में कुछ ख़ास पेय पदार्थ जैसे- शराब, कॉफी, ग्रीन टी, कोल्डड्रिंक्स आदि नहीं पीना चाहिए.'