लखनऊ : उत्तर प्रदेश में तीन दिन बाद विद्युत नियामक आयोग बिजली बिल में बढ़ोतरी में मामले में सुनवाई करेगा. पावर फाइनेंस कारपोरेशन की तरफ से जारी बिजली कंपनियों की रेटिंग के बाद हंगामा खड़ा हो गया है. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस गंभीर मामले पर विद्युत नियामक आयोग में एक लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल कर दिया है. माना जा रहा है कि रेटिंग में सुधार के लिए कारगर कदम नहीं उठाए गए तो आगामी समय में बिजली कंपनियों की स्थिति और खराब हो जाएगी. इससे बिजली बिलों में बढ़ोतरी होने का भी अनुमान है.
परिषद ने सवाल उठाया है कि बिजली कंपनियों की वर्ष 2019 में पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने जब सातवीं रेटिंग जारी की थी उस समय प्रदेश की बिजली कंपनियां केस्को बी प्लस तक पहुंच गई थी, पश्चिमांचल बी व अन्य तीनों बिजली कंपनियां मध्यांचल, पूर्वांचल और दक्षिणांचल सी प्लस में पहुंच गईं थीं. सभी बिजली कंपनियां चार साल बाद 11वीं रेटिंग में एक सी और 4 कंपनी सी माइनस में पहुंच गईं जिसका सबसे ज्यादा नुकसान उपभोक्ताओं को होगा. ऐसे में तत्काल विद्युत नियामक आयोग इस गंभीर मामले पर हस्तक्षेप करें अन्यथा बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति खराब हो जाएगी.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा रेटिंग खराब होने से बिजली कंपनियां जब लोन लेती हैं तो उन्हें ज्यादा ब्याज देना पड़ता है. वर्ष 2021- 22 में जहां बिजली कंपनियों ने लॉन्ग टर्म कुल लोन पर लगभग 8 79 प्रतिशत ब्याज दिया था, उसकी कुल रकम लगभग 1,281 करोड़ थी. वहीं वर्ष 2022 -23 में लॉन्ग टर्म लोन पर लगभग 10.73 प्रतिशत ब्याज की दर थी, कुल रकम लगभग 1,738 करोड़ थी. इसका खामियाजा प्रदेश की जनता ने बिजली दरों में भुगता था.