लखनऊ :जेल से बाहर गुर्गों से मिलना हो तो अस्पताल, भागने की प्लानिंग करनी हो तो अस्पताल और जेल से बाहर ऐश करना हो तो अस्पताल, लेकिन अब जल्द ही इन अस्पतालों के चक्कर लगाने से माफिया और कुख्यात अपराधियों को रोकने के लिए जेल प्रशासन टेली मेडिसिन की व्यवस्था शुरू करने जा रही है जो एक माह के भीतर शुरू कर दी जाएगी. इस बाबत जेल प्रशासन ने शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया है.
यूपी की जेलों में टेली मेडिसिन सुविधा कैसे काम करेगा टेलीमेडिसिन : टेलीमेडिसिन यानि कि वीडियो कॉल के माध्यम से एक विशेषज्ञ किसी भी मरीज को दूर से ही बैठ कर उसकी बीमारी को समझ कर उसका इलाज कर सकता है. इसके लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी, एक कैमरा, एक टेलीविजन सेट और एक ऑडियो कंसोल का उपयोग किया जाता है. जेलों में टेलीमेडिसिन को शुरुआत करने के लिए संबंधित जिलों के टॉप विशेषज्ञों का पैनल बनाया जाएगा. जेल मुख्यालय के मुताबिक टेलीमेडिसिन उन मरीजों के लिए उपयुक्त होगा, जिनका किसी बीमारी का इलाज चल रहा हो और बार बार फॉलो अप के लिए जेल से अस्पताल के चक्कर लगवाते हैं. ऐसे में टेलीमेडिसिन के डॉक्टर बिमारिक्को हिस्ट्री पढ़ कर वीडियो कॉल से ही कैदी का इलाज करेंगे.
यूपी की जेलों में टेली मेडिसिन सुविधा
जेल में जांच मशीनें लगाने के लिए शासन को भेजा प्रस्ताव : जेल मुख्यालय के मुताबिक शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, जिसके तहत जेल अस्पतालों में अत्याधुनिक जांच मशीनें लगाए जाने का अनुरोध किया गया है. ताकि टेलीमेडिसिन के द्वारा यदि डॉक्टर को लगे कि कैदी की कोई जांच होनी हो तो उसको जेल के भीतर ही जांच कराई जा सके. ताकि उसे जांच के लिए जेल से बाहर न ले जाना पड़े. सूत्रों के मुताबिक शासन ने जेल मुख्यालय के इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. जल्द ही कुछ खास जेल जिसमें लखनऊ, बांदा, गोरखपुर, बागपत, कासगंज, चित्रकूट जेल में अत्याधुनिक मशीन लगाई जाएंगी.
अस्पताल अपराधियों के लिए मुफीद स्थान : जेल अधिकारी मानते हैं कि जेल में बंद कुख्यात अपराधी व माफिया जेल के अंदर अपने परिवार सदस्यों के अलावा किसी अन्य से मुलाकात नहीं कर पाते हैं. ऐसे में उनके लिए अपने गुर्गों या साथियों से मिलने के लिए अस्पताल या कोर्ट सबसे मुफीद स्थान है. हालांकि कोर्ट में उन्हें अतरिक्त पुलिस बल होने की वजह और सख्ती के चलते कैदी साथियों से बात नहीं कर पाते हैं. अस्पताल में वे आसानी से साथियों, गुर्गों से बात करते हैं और जेल में रहते हुए आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने को साजिश रच लेते हैं. टेलीमेडिसिन को शुरुआत उनके इन इरादों को निस्तानबूत्त कर देगी.
अस्पतालों में मौज करने का रहा इतिहास :जेल में रसूखदार जाता है तो उसका बीमार पड़ना आम हो जाता है. ऐसे कैदी सामान्य कैदी के बजाय वीआईपी ट्रीटमेंट हासिल करने के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं. इसके लिए वे जेल अस्पताल के डाॅक्टरों की मदद से बाहर के अस्पताल में रेफर करवा लेते हैं. यहां तक सीने और पेट दर्द में भी जेल अस्पताल के डॉक्टर द्वारा फौरन विस्तृत जांच व बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल या किसी विशेषज्ञता वाले अस्पताल में ले जाने की सिफारिश कर दी जाती रही है. जेल अस्पताल के पास बहाना होता था कि जेल अस्पतालों में गहन परीक्षण के लिए उपकरण और सुविधा न होने के कारण वहां इलाज संभव नहीं है.
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