लखनऊ : पवित्र महीना रमजान का आगाज होते ही मस्जिदों में रौनक बढ़ जाती है. जहां रोजेदार दिनभर रोजा रखते हैं, वहीं रोजा खोलने के बाद रात में तरावीह की नमाज का भी एतिमाम किया जाता है. तरावीह की नमाज रमजान का चांद दिखने के बाद से ही शुरू हो जाती है. लम्बी-लम्बी कतारों में हजारों की तादाद में एक साथ इबादतगुजार इस नमाज को अदा करते हैं.
जानिए, रमजान के महीने में तरावीह नमाज का महत्व - लखनऊ न्यूज
पवित्र महीना रमजान आते ही मस्जिदों में रौनक बढ़ जाती है. रमजान में पढ़ी जाने वाली खुसूसी नमाज को तरावीह कहते हैं. तरावीह की नमाज पढ़ना बड़ी फजीलत माना जाता है.
तरावीह की नमाज पढ़ना सुन्नत में शुमार है.
जानिए, तरावीह की नमाज
- रमजान में पढ़ी जाने वाली खुसूसी नमाज को तरावीह कहते हैं.
- तरावीह की नमाज पढ़ना बड़ी फजीलत माना जाता है.
- तरावीह की नमाज पढ़ना सुन्नत में शुमार है.
- ईशा की फर्ज नमाज के बाद तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है.
- कुरान की आयतों को तरावीह में पढ़ा जाता है.
- रमजान में कुरान का एक शब्द पढ़ना 10 नेकियों के बराबर माना जाता है.
- तरावीह की नमाज में पूरा कुरान मुकम्मल किया जाता है.
- रमजान के महीने में ही कुरान नाजिल हुआ था.