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दिल की गंभीर बीमारी से पीड़ित थी महिला, केजीएमयू में सर्जरी कर डॉक्टरों ने छह मिनट में बचाई जिंदगी - महिला मरीज की जान

राजधानी में केजीएमयू ने चिकित्सकों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. डाॅक्टरों ने महाधमनी में पनपे खून के आठ सेंटीमीटर गुच्छे का जटिल ऑपरेशन कर महिला मरीज की जान बचाई है.

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Published : Aug 12, 2023, 1:49 PM IST

Updated : Aug 12, 2023, 3:08 PM IST

लखनऊ : केजीएमयू के डॉक्टरों ने महाधमनी में पनपे खून के आठ सेंटीमीटर गुच्छे का जटिल ऑपरेशन कर महिला मरीज की जान बचाने में कामयाबी हासिल की है. महाधमनी से शरीर को खून की आपूर्ति होती है. खासबात यह है कि चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को डॉक्टरों ने महज छह मिनट में किया. मरीज के स्वास्थ्य में लगातार सुधार है. कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने सफल सर्जरी में शामिल सभी टीमों को बधाई दी.

अयोध्या की एक 28 वर्षीय महिला मरीज को दिल की गंभीर बीमारी है. केजीएमयू के कार्डियोवास्कुलर एवं थोरेसिक सर्जरी विभाग में इलाज कराया. विभागाध्यक्ष डॉ. एसके सिंह ने जांच कराई थी. जांच में दोनों वॉल्व खराब मिले थे. ऑपरेशन कर दोनों वॉल्व बदले गए थे. करीब एक साल पहले सीने में भारीपन महसूस हुआ. परिवारीजन मरीज को लेकर केजीएमयू पहुंचे. डॉ. एसके सिंह ने जरूरी जांचें कराई. जांच में महाधमनी स्यूडोएन्यूरिज्म का पता चला. महाधमनी में सुराख होने की वजह से खून का रिसाव होने लगा. जो एक थैली के रूप में पनपने लगा. चिकित्सा विज्ञान में इसे महाधमनी का स्यूडोएन्यूरिज्म कहते हैं. महाधमनी में खून के रिसाव को रोकने के लिए लारी के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर छल्ला डाला. कुछ समय बाद फिर से सूजन बढ़ने लगी. डॉ. एसके सिंह ने ओपन सर्जरी करने का फैसला किया.

डॉ. एसके सिंह ने बताया कि 'मरीज की छाती में करीब आठ सेंटीमीटर का स्यूडोएन्यूरिज्म था. यह गुब्बारे की तरह फूल गया था. जिसमें खून भर रहा था. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन काफी जटिल था. क्योंकि स्यूडोएन्यूरिज्म थैली छाती की हड्डी के ठीक पीछे स्थित थी, जो दिल और महाधमनी को घेरे हुई थी. इसलिए थैली के पार दिल और महाधमनी में प्रवेश करना मुश्किल था. इस सर्जरी में स्यूडोएन्यूरिज्म के फूटने और रक्तस्राव का खतरा अधिक था. लिहाजा नौ अगस्त को बाईपास सर्जरी की गई. मशीन से मरीज का दिल और फेफड़ जोड़ा गया. मशीन से जोड़ने के लिए पैर की वाहिकाओं में नलिकाएं लगाई जाती हैं.'


डॉ. एसके सिंह ने बताया कि 'दिल को रोकने और ऑपरेशन को सुरक्षित करने के लिए मरीज के शरीर का तापमान को कम किया गया. सामान्य मरीज का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है. इसे घटाकर 18 डिग्री सेल्सियस किया गया. इसके लिए हाइपोथर्मिक सर्कुलेटरी अरेस्ट का उपयोग किया. दिल और मस्तिष्क सहित पूरे शरीर में रक्त संचार को रोका गया. ऑपरेशन महज छह मिनट किया गया. इसमें स्यूडोएन्यूरिज्म थैली को खोला गया. पहले से पड़े छल्लों को बाहर निकाला गया. महाधमनी में छेद की मरम्मत की गई. ऑपरेशन के बाद मरीज वेंटिलेटर पर सीटीवीएस आईसीयू में रखा गया. आईसीयू में वह ठीक हो गईं. अगले दिन उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया.'

इन डॉक्टरों ने किया ऑपरेशन :डॉ. एसके सिंह, डॉ. विवेक टेवर्सन, डॉ. सर्वेश कुमार, डॉ. भूपेन्द्र कुमार और डॉ. मोहम्मद जीशान हकीम शामिल थे. मनोज श्रीवास्तव, तुषार मिश्रा, देबदास प्रमाणिक और साक्षी जायसवाल सहित पर्फ्युजनिस्ट टीम की महत्वपूर्ण भूमिका थी. कार्डियक एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. करण कौशिक के साथ डॉ. दुर्गा कनौजिया ने किया. नर्सिंग प्रभारी विभा सिंह और मनीषा ने अपनी टीम के साथ ऑपरेशन थिएटर में मरीज की देखभाल की. आईसीयू देखभाल नर्सिंग प्रभारी आईसीयू अलका और उनकी आईसीयू नर्सों की टीम ने संभाली.

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Last Updated : Aug 12, 2023, 3:08 PM IST

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