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मुख्यमंत्री के विशेष कार्य अधिकारी बनकर करते थे ठगी, सरगना समेत 4 गिरफ्तार

राजधानी लखनऊ में एसटीएफ ने ठगी करने वाले गिरोह के चार सदस्यों को पकड़ा है. इनके पास से 14 मोबाइल फोन, 22 सिम कार्ड, चार आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड और 6 एटीएम कार्ड के साथ-साथ ₹15000 नकद और सचिवालय समीक्षा अधिकारी का परिचय पत्र बरामद हुआ है.

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Published : May 21, 2021, 11:17 PM IST

पकड़े गए आरोपी
पकड़े गए आरोपी

लखनऊः जिले की एसटीएफ टीम ने आज (शुक्रवार) एनेक्सी भवन के बगल के गेट से एक गिरोह के चार लोगों को गिरफ्तार किया है. यह लोग मुख्यमंत्री के विशेष कार्य अधिकारी बनकर व शासन के विभिन्न विभागों के जांच अधिकारी बनकर ठगी करने और धन उगाही करने का काम कर रहे थे.

पकड़े गए आरोपी

इस तरह आए पकड़े में
गिरोह के द्वारा हाल ही में बरेली के फरीदपुर के डायट प्राचार्य मुन्ने अली से एक जांच के संबंध में ₹100000 की मांग की गई थी. उनके द्वारा थाना किला जनपद बरेली में मुकदमा भी दर्ज कराया गया. वहीं, कुलदीप सिंह भदौरिया, जो एटा जेल में जेलर हैं, उनसे मुख्यमंत्री आवास का ओएसडी दयाशंकर सिंह बनकर, उनके विरुद्ध मुख्यमंत्री की नाराजगी और जांच के संबंध में रुपयों की मांग की गई. इसके बाद कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज किया गया. जांच में यह पाया गया कि इस गिरोह के सदस्य सचिवालय और एनेक्सी के आसपास सक्रिय रहकर कार्यालय की कार्य अवधि के दौरान ठगी का कार्य करते थे. वहीं, मुख्यमंत्री द्वारा आज किसी अधिकारी को फोन करके ठगी करने के लिए यह एनेक्सी के पास इकट्ठे थे. मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर एसटीएफ की टीम ने एक कार से चारों अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. उनके पास से 14 मोबाइल फोन, 22 सिम कार्ड, चार आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड और 6 एटीएम कार्ड के साथ-साथ ₹15000 नकद और सचिवालय समीक्षा अधिकारी का परिचय पत्र बरामद हुआ है. एसटीएफ के द्वारा कोतवाली हजरतगंज में मुकदमा पंजीकृत कराकर कार्रवाई की जा रही है.


सचिवालय में थे समीक्षा अधिकारी, फिर गिरोह बनाकर करने लगे ठगी
चार गिरफ्तार आरोपियों में अतुल शर्मा उर्फ मनोज कुमार सिंह नाम का एक अभियुक्त शामिल हैं, जो सचिवालय के न्याय विभाग में सहायक समीक्षा अधिकारी के पद पर तैनात था. वह 2007 और 2010 में सरकारी अधिकारियों से ठगी करने के आरोप में जेल जाने के बाद निलंबित चल रहा है. वहीं उसने पूछताछ में बताया कि जेल से छूटने के बाद वह इस कार्य में अपने पूर्व के साथी प्रमोद कुमार दुबे उर्फ दयाशंकर सिंह उर्फ संतोष सिंह उर्फ बलजीत सिंह के साथ मिलकर सक्रिय हो गया. विभिन्न विभागों के सरकारी अधिकारियों की फर्जी जांच का धौंस दिखाकर उन्हें फोन करके वह रुपये मांगते थे. उसके जो शिकार बनते थे, उनसे मिले पैसे को आपस में बांट लेते थे. शुक्रवार को एसटीएफ को मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर इन्हें सचिवालय के पास से गिरफ्तार किया गया है. वहीं के खिलाफ कोतवाली हजरतगंज में मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई हुई है.

कौन-कौन था गिरोह में शामिल
एसटीएफ की ओर से गिरफ्तार अभियुक्तों में प्रमोद कुमार दुबे उर्फ दयाशंकर सिंह उर्फ संतोष कुमार सिंह उर्फ बलजीत सिंह शामिल है, जो मूलतः कन्नौज का रहने वाला है. वहीं, दूसरे अभियुक्त के रूप में अतुल शर्मा उर्फ मनोज कुमार सिंह शामिल हैं. तीसरे अभियुक्त के रूप में प्रदीप कुमार श्रीवास्तव जो राजाजीपुरम लखनऊ का रहने वाला है. वहीं चौथे सदस्य के रूप में राधेश्याम कश्यप का नाम शामिल है, जो बहराइच का रहने वाला है.

कैसे बनाते थे लोगों को ठगी का शिकार
पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में पता चला की अभियुक्त मुख्यमंत्री का विशेष कार्याधिकारी और शासन के विभिन्न विभागों के अधिकारी बनकर कर्मचारी और अधिकारियों को फर्जी जांच प्रकरण का डर दिखाकर ठगी और जबरन धन उगाही करते थे. इस पूरे प्रकरण पर कार्रवाई करने के लिए अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने एसटीएफ के महानिदेशक को निर्देशित किया था.

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क्या-क्या हुआ बरामद
14 मोबाइल फोन
22 विभिन्न कंपनियों की सिम कार्ड
चार आधार कार्ड
वोटर कार्ड दो पैन कार्ड ,
6 विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड
एक शॉपिंग कार्ड
अभियुक्त व उनके परिजनों के बैंक खातों में जमा 1500000 की पर्चियां
पांच बैंक पासबुक
दो ड्राइविंग लाइसेंस
एक सचिवालय सहायक समीक्षा अधिकारी का परिचय पत्र
एक धर्मशाला स्टाफ का परिचय पत्र
उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी कर्मचारी के नाम पदनाम मोबाइल नंबर की हाथों से लिखित सूची
एक लोकसभा या राज्यसभा सदस्य निर्देशिका
चार उत्तर प्रदेश शासन व सूचना विभाग की निर्देशिका
एक रजिस्टर जिसमें सरकारी अधिकारियों के नाम पदनाम मोबाइल नंबर व फर्जी जांच प्रकरण के विवरण अंकित है
एक हुंडई i10 कार
एक बाइक
15500 नकद
दो पीली धातु की चेन
6 पीली धातु की अंगूठी

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