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प्रिया पाल के भोजपुरी गीतों संग कविताओं के रस से तर-बतर हुए श्रोता

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Published : Feb 14, 2021, 8:47 PM IST

लखनऊ में प्रगति पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट की ओर से आशियाना के कथा मैदान में चल रहे अवध महोत्सव के दसवीं सांस्कृतिक संध्या में प्रिया पाल ने भोजपुरी गीतों से श्रोत्राओं को मंत्र मुग्ध कर दिया.

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लखनऊ में अवध महोत्सव

लखनऊः प्रगति पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट की ओर से आशियाना के कथा मैदान में चल रहे अवध महोत्सव के दसवीं सांस्कृतिक संध्या में प्रिया पाल ने भोजपुरी गीतों से श्रोत्राओं को मंत्र मुग्ध कर दिया.
इस अवसर पर प्रगति पर्यावरण संरक्षण के अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह और उपाध्यक्ष एन बी सिंह ने सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन दीप प्रज्जवलित कर किया.

गायिका प्रिया पाल

अवध महोत्सव की दसवीं सांस्कृतिक संध्या
रविवार की सांस्कृतिक संध्या का शुरुआत प्रसिद्ध भोजपुरी गायिका प्रिया पाल ने अपनी खनकती हुई आवाज में देवीगीत नीमिया के डार मईया लगेली झूलवा से की. जिसे सुनकर श्रोताओं को भगवती देवी दुर्गा के नवों रूपों के दर्शन करवाये. इस प्रस्तुति के बाद प्रिया पाल ने अपनी सुमधुर आवाज में राम लखन दोनों भइया अवध रहइया चारों भईयन की आरती उतारो को सुनाकर श्रोताओं को भगवान श्रीराम की भक्ति के सागर में डुबोया.

अवध महोत्सव में नृत्य कार्यक्रम

कलाकारों ने दी प्रस्तुति
भक्ति भावना के बाद प्रिया पाल ने अपनी खनकती हुई आवाज में रेलिया बैरन पिया को लिए जाये रे को सुनाया. जिसे सुनकर श्रोता झूम उठे. इसी क्रम में प्रिया ने जुग जुग जियत ललनवा और सरौता कहां भूल आए मोरे ननदोइया जैसे अन्य भोजपुरी गीतों को सुनाकर श्रोताओं को अपने साथ खुब झुमाया नचाया. प्रिया पाल के गाए इन भोजपुरी गीतों पर दीपिका राय के निर्देशन में प्रेक्षा सिद्धार्थ, श्रुति कौशल, ने सम्मोहक नृत्य प्रस्तुत किया. इस अवसर पर प्रिया पाल ने पुलवामा अटैक में अमर शहीदों को भोजपुरी गीतों के जरिए श्रद्धांजलि भी दी. कार्यक्रम का संचालन सम्पूर्ण शुक्ला और अरविन्द सक्सेना ने किया.

कवि सम्मेलन का आयोजन
इस अवसर पर पीके फैमिला संस्था द्वारा केके अग्निहोत्री की अध्यक्षता, हरि बहाुदर सिंह के मंच संचालन और प्रीति पांडेय की वाणी वंदना से कवि सम्मेलन का भी आयोजन हुआ. जिसमें डाॅ अंजना कुमार, सुबोध सुलभ ने अपनी कविताओं से लोगों को खूब हंसाया. वहीं संदीप सुरला की पंक्तियां अपनी आंखों का कजरा बना लो मुझे, अपनी साड़ी का अंचरा बना लो मुझे जैसी कविताओं की लाइन ने भी समां बांधने का काम किया.

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