लखनऊ: प्रदेश सरकार के सभी सचिवालय भवनों में सोमवार से कर्मचारियों की संपूर्ण उपस्थिति के साथ कामकाज शुरू हो गया है, लेकिन सभी कर्मचारियों के एक साथ सचिवालय में मौजूद रहने से सोशल डिस्टेंसिंग का नियम प्रभावित होता दिख रहा है. हालांकि प्रवेश द्वारों पर थर्मल स्कैनिंग और हाथ सैनिटाइज करने की व्यवस्था की गई है.
कर्मचारियों में दिखा सोशल डिस्टेंसिंग का अभाव. प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण को ध्यान में रखते हुए 21 मार्च से सचिवालय में कामकाज नियंत्रित करना शुरू कर दिया था. कर्मचारियों की उपस्थिति घटाने के साथ ही उन्हें वर्क फ्रॉम होम का विकल्प भी दिया गया. सोमवार को सभी सचिवालय कर्मचारियों और अधिकारियों को उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया था.
सचिवालय प्रशासन ने हालांकि कर्मचारियों और अधिकारियों के सचिवालय आने और जाने के समय को नियंत्रित करने के लिए तीन शिफ्ट का निर्धारण किया है, लेकिन सुबह 11 बजे के बाद से शाम 5 बजे के दौरान सचिवालय के विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की संपूर्ण उपस्थिति देखने को मिली. ऐसे माहौल में सोशल डिस्टेंसिंग का नियम टूटता दिखा.
सचिवालय प्रशासन ने हालांकि प्रवेश द्वार पर सभी आगंतुकों के लिए थर्मल स्कैनिंग अनिवार्य कर रखी है. कर्मचारियों को हैंड सैनिटाइजर के साथ भी तैनात किया गया है, लेकिन सैनिटाइजर की कमी की समस्या कई प्रवेश द्वारों पर देखने को मिली, जहां कर्मचारियों को बगैर हाथ सैनिटाइज कराए अंदर जाने दिया गया.
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वहीं कुछ कर्मचारियों ने यह भी मांग उठाई है कि उन्हें सचिवालय प्रशासन की ओर से सैनिटाइजर दिया जाए, जिससे कि काम करने के दौरान वह पत्रावलियों से संभावित संक्रमण से बच सकें. सचिवालय पहुंचे ज्यादातर कर्मचारियों ने थर्मल स्कैनिंग और हैंड सैनिटाइजर की व्यवस्था को संतोषजनक बताया और यह दावा भी किया कि वे अपने स्तर से कोरोना वायरस से बचाव के लिए सभी एहतियात बरत रहे हैं.
आपको बता दें कि कुल सचिवालय भवन 7 हैं, जिसमें कर्मचारियों की संख्या 5000 हैं. वहीं थर्मल स्कैनिंग की सुविधा वाले प्रवेश द्वार की संख्या 10 है.