लखनऊ : अगर सरकारी डॉक्टरों को अधिवर्षता आयु 62 से 65 वर्ष तक बढ़ती है तो आने वाले तीन साल तक सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी नहीं होगी. साथ ही विभिन्न अस्पतालों में संचालित हो रहे डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) कोर्स की मान्यता पर भी संकट नहीं पड़ेगा. हालांकि इस संकट को भांपते हुए प्रांतीय चिकित्सक संघ ने उत्तर प्रदेश सरकार को पीएमएस चिकित्सकों की सेवानिवृत आयु 65 वर्ष करने की सिफारिश की है. सरकारी डॉक्टरों की रिटायरमेंट की उम्र सीमा आयु 62 से बढ़ाकर 65 साल करने के प्रस्ताव को स्वास्थ्य विभाग ने बीते शुक्रवार को शासन को भेजी है.
स्वास्थ्य निदेशालय की डीजी हेल्थ डॉ. लिली सिंह ने बताया कि अपर निदेशक के नेतृत्व में गठित सात सदस्यीय कमेटी में सभी स्तर के चिकित्सकों को शामिल किया गया था कमेटी सदस्यों ने शासन की ओर से मांगी गई प्रत्येक टिप्पणी और सुझाव पर बिंदुवार रिपोर्ट तैयार की है. मुख्यमंत्री को सरकारी डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का प्रस्ताव मिला था, जिसे चिकित्सा विभाग के शासकीय अधिकारियों के पास भेजा गया था. शासन की ओर से प्रस्ताव में डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्रसीमा बढ़ाने को लेकर मिली टिप्पणी और सुझावों पर राज्य के स्वास्थ्य महानिर्देशक से आख्या मांगी है.
प्रांतीय चिकित्सक संघ ने उत्तर प्रदेश सरकार को पीएमएस चिकित्सकों की सेवानिवृत आयु 65 वर्ष करने की सिफारिश की है. स्वास्थ्य विभाग में लगभग साढ़े 19 हजार डॉक्टरों के पद हैं, जिसमें मात्र 11,879 डॉक्टर तैनात हैं. करीब 7000 हजार से ज्यादा डॉक्टरों की कमी हैं. वहीं, हर साल करीब 350 से 400 डॉक्टर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इनमें से अधिकांश स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं. प्रांतीय चिकित्सक संघ का मानना है कि इन डॉक्टरों के सर्विस में बने रहने से समस्या नहीं बढ़ेगी. इनके सेवाकाल के दौरान सरकारी अस्पतालों में पढ़ रहे मेडिकल छात्रों को डिग्री पूरी जाएगी और बैलेंस बना रहेगा.
नए मेडिकल कॉलेजों से मिलेंगे डॉक्टर :उत्तरप्रदेश में 35 मेडिकल कॉलेजों का संचालन हो रहा है. वर्ष 2017 में राजधानी में लोहिया अस्पताल को संस्थान में विलय हुआ था. इस संस्थान के एमबीबीएस करने वाला 150 डॉक्टरों का पहला बैच 2024 से सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध होंगे. इसी तरह 2019 में अयोध्या में दर्शन नगर मेडिकल कॉलेज समेत पांच मेडिकल कॉलेज खुले थे. राजकीय मेडिकल कॉलेज बदायूं व जिम्स नोएडा मेडिकल कॉलेज में भी एमबीबीएस बैच शुरू हुए थे. सभी में एमबीबीएस की 100-100 सीटों पर हर साल एडमिशन हो रहा है. साढ़े चार साल की पढ़ाई और एक साल की इंटर्नशिप करने के बाद ये डॉक्टर बांड के तहत दो साल तक सरकारी अस्पतालों में इलाज देने के लिए उपलब्ध होंगे. पीजी करने जाने वाले डॉक्टरों को कोर्स पूरा करने के बाद सेवाएं देनी होगी. प्रांतीय चिकित्सक संघ का मानना है कि मेडिकल कॉलेजों के छात्र अगले तीन साल में सर्विस के लिए तैयार होंगे. तब तक रिटायरमेंट की आयु सीमा बढ़ाने का फायदा लोगों को मिलेगा. हालांकि अभी फैसला होना बाकी है.
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