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लखनऊ विश्वविद्यालय में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन - apj abdul kalam birth anniversary

लखनऊ विश्वविद्यालय में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर उर्दू विभाग के मसूद हसन रिजवी हाल में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पद्म श्री प्रोफेसर आसिफा जमानी मौजूद रहीं.

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन परएक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन.

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Published : Oct 15, 2019, 10:03 AM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर उर्दू विभाग के मसूद हसन रिजवी हाल में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में बहुत सारी जानकारियां दी गईं. इसके साथ ही संगोष्ठी में मौजूद छात्रों को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की विचारधारा से ओत-प्रोत कर उनके मार्गदर्शन पर चलने और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी गई.

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन.

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर संगोष्ठी का आयोजन

  • डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर उर्दू विभाग के मसूद हसन रिजवी हाल में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
  • इस संगोष्ठी में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में बहुत सारी जानकारियां दी गईं.
  • इसके साथ ही लोगों को अब्दुल कलाम जैसा बनने की प्रेरणा दी गई.
  • इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पद्म श्री प्रोफेसर आसिफा जमानी मौजूद रहीं.
  • इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो.अब्बास रजा नियम ने की.
  • इस संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि मौलाना इकबाल अहमद आजमी मदनी, वैज्ञानिक हरमेश चौहान, डॉ.असमत मलीहाबादी सहित में अन्य मौजूद रहे.

प्रो. आसिफा जमानी ने कहा कि मुझे पद्म श्री सम्मान डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के कर कमलों से ही मिला था. उनके चेहरे पर अजीब आकर्षण करने वाला तेज था. इसके साथ ही उनको साइंस में महारत हासिल थी. वहीं प्रोफेसर अब्बास रजा नय्यर ने कहा कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम साइंस की दुनिया के बहुत करीब थे. वह सिर्फ मेजर मिसाइल मैन ही नहीं एक संपूर्ण इंसान थे. उनकी शायरी में प्राकृतिक की पूरी झलक देखने को मिलती है. वहीं मौलाना इकबाल अहमद आजमी मदानी ने कहा कि गरीब घर से संबंध रखते थे, लेकिन अपनी शिक्षा के बल पर मिसाइल मैन बने .डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सिर्फ देश के लिए जिया करते थे. इसके अतिरिक्त कोई और स्वार्थ डॉ. अब्दुल कलाम के अंदर नहीं था.

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