लखनऊ : परिवहन विभाग ने राजधानी सहित प्रदेश भर के आरटीओ कार्यालयों में करोड़ों रुपए खर्च कर सारथी भवन का निर्माण कराया, लेकिन अब ये सारथी भवन शोपीस बनकर ही रह जाएंगे. वजह है कि अब परिवहन विभाग ने ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टिट्यूट तैयार किए हैं. अब ड्राइविंग लाइसेंस का काम सारथी भवन पर न होकर डीटीटीआई (ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टिट्यूट) पर होगा. वाहन स्वामियों को लाइसेंस के लिए ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक से गुजरना होता है, जब लाइसेंस का काम इन्हीं डीटीआई पर होगा, ऐसे में सारथी भवन तो शोपीस बनकर ही रह जाएंगे.
परिवहन विभाग ने करोड़ों रुपये खर्च कर बनवाए सारथी भवन को दरकिनार कर निजी हाथों को ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टिट्यूट को ड्राइविंग लाइसेंस की बागडोर सौंपने का फैसला लिया है, जिसके लिए प्रदेश में ड्राइविंग ट्रेंनिग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट खोलने की अनुमति दी गई है. उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 14 अत्याधुनिक डीटीटीआई स्थापित किए जा रहे हैं. वर्तमान में आरटीओ कार्यालय के सारथी भवन में ड्राइविंग लाइसेंस के सारे काम संपन्न किए जाते हैं, चाहे फिर लर्नर लाइसेंस हो या फिर परमानेंट लाइसेंस. हालांकि अब लर्नर लाइसेंस आरटीओ के अलावा आवेदक घर बैठे भी बना सकते हैं, ऐसे में सारथी भवन में शिक्षार्थी लाइसेंस का काम पहले से ही कम हो गया है. अब सारथी भवन में बने टेस्टिंग ट्रैक का भी काम डीटीटीआई के बाद खत्म होने वाला है. डीटीटीआई के टेस्टिंग ट्रैक पर ही वाहन चलाकर लाइसेंस हासिल करने का टेस्ट हो जाएगा. इसके बाद वाहन चालक को पास होने पर सर्टिफिकेट जारी होगा. ये सर्टिफिकेट सारथी भवन में मौजूद लाइसेंस प्राधिकारी को दिखाने के बाद अप्रूव हो जाएगा. सारथी भवन का काम सिर्फ अप्रूवल तक ही सीमित रह जाएगा.
UP News : विभाग ने सारथी भवन बनाने में खर्च किए करोड़ों, हो जाएंगे शोपीस, जानिए वजह
प्रदेश भर के आरटीओ कार्यालयों में सारथी भवनों का निर्माण कराया गया (UP News) था. लेकिन परिवहन विभाग ने अब सारथी भवन में बनने वाले ड्राइविंग लाइसेंस को ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टिट्यूट में तैयार किये जाने का फैसला लिया है.
निजी हाथों में होगा डीटीटीआई का काम :डीटीटीआई में चालकों को ड्राइविंग स्किल सिखाने के साथ ही वाहन से संबंधित कई रिसर्च कोर्स भी कराए जाएंगे. ड्राइवरों को प्रशिक्षित करने पर फीस ली जाएगी. गवर्नमेंट और कमर्शियल ड्राइवरों के साथ ही निजी वाहन संचालक भी यहां प्रशिक्षण लेंगे. परिवहन विभाग के अधिकारी प्रदेश भर में तैयार किए जा रहे ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट का इंस्पेक्शन कर चुके हैं. इन सभी 14 डीटीटीआई को निजी हाथों में सौंपा जाएगा. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, सड़क हादसों के बढ़ रहे ग्राफ को ध्यान में रखकर चालकों के लिए ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में रिफ्रेशर कोर्स अनिवार्य होगा. आरटीओ से ड्राइविंग लाइसेंस जारी होने के बाद भी चालकों को डीटीआई में प्रशिक्षित किया जाएगा. ड्राइविंग लाइसेंस के समय ड्राइवर से डीटीटीआई से ट्रेनिंग लेने का सर्टिफिकेट मांगा जाएगा. सर्टिफिकेट प्रस्तुत न कर पाने वाले ड्राइवर का लाइसेंस नवीनीकरण नहीं होगा. यह मान लिया जाएगा कि चालक प्रशिक्षित नहीं है और कभी भी सड़क पर वाहन संचालित करते समय हादसे को अंजाम दे सकता है. ट्रेनिंग लेकर जो ड्राइवर सड़क पर गाड़ी लेकर उतरेंगे उनसे एक्सीडेंट की संभावनाएं काफी कम हो जाएंगी.
इन स्थानों पर डीटीटीआई तैयार :उत्तर प्रदेश रोड सेफ्टी फंड से रायबरेली, मिर्जापुर, वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, कानपुर, बरेली, प्रयागराज, मुरादाबाद, बस्ती, झांसी, आजमगढ़, मथुरा और मेरठ में ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनकर तैयार हैं. मिर्जापुर में ट्रेनिंग और टेस्टिंग भी शुरू हो गई है. इन सभी जगहों पर ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट संचालित होने के बाद प्रशिक्षित चालक ही ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अधिकृत होंगे.
एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर वीके सोनकिया का कहना है कि '14 स्थानों पर डीटीटीआई का संचालन किया जाएगा. ड्राइवरों को ऑटोमेटिक ट्रैक पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. आरटीओ कार्यालय में जो लोग डीएल बनवाने के लिए आते हैं उनकी टेस्टिंग का काम इस ट्रैक पर ही होगा. जहां तक डीटीटीआई के संचालन की बात है तो सभी जगह इनका संचालन विभाग नहीं कर सकता, इसलिए इन्हें संचालन के लिए निजी हाथों में सौंपा जाएगा.'
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