लखनऊ :राजधानी में रविवार को अखिल भारतीय संत समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. इसमें देशभर के संत शामिल हुए. इसमें तमिलनाडु सरकार के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन की ओर से सनातन धर्म की तुलना मच्छर और मलेरिया से करने पर कड़ी नाराजगी जताई गई. राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि हमारे देश के कुछ लोग गुलामी में लीन होकर हिंदू धर्म पर हमला करने में लगे हैं. इसमें बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव, उत्तर प्रदेश के स्वामी प्रसाद मौर्य और कर्नाटक के साहित्यकार सीबी भगवानदास भी शामिल हैं. संत समिति ने एक सुर में तमिलनाडु सरकार को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की.
लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघात :अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि तमिलनाडु में सनातन धर्म उन्मूलन के लिए जो अभियान चल रहा है, वह भारत के संविधान और सेकुलर लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघात है. वहां सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन होता है. यह ऐसी घटना है, जिसका संज्ञान लेकर राष्ट्रपति को तत्काल तमिलनाडु सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए. बैठक में स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में 2 नवंबर 1990 को अतिरिक्त पुलिस उतारकर रामभक्तों की सुनियोजित हत्या हुई थी. उससे संत समाज बहुत नाराज है. विहिप के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी ने कहा कि इतिहास में दो ही समुदाय का संघर्ष बहुत लंबा हुआ. यहूदी अपना इजरायल 1800 वर्षों के संघर्ष के उपरांत प्राप्त कर सकें तो दूसरा संघर्ष हमने किया. हमें 495 वर्षों के बाद रामलला को उनके जन्मस्थान पर पुनर्स्थापित करने का अवसर मिला.
सुप्रीम कोर्ट को लेना चाहिए संज्ञान :जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट को भी संज्ञान लेना चाहिए. तमिलनाडु में लगभग 85 हजार सनातन धर्म के मंदिर हैं. वहां लाखों की हिदू आबादी है. आखिर स्टालिन की सरकार सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन आयोजन कर क्या संदेश देना चाहती है. राम मंदिर के लोकार्पण में देश के सभी संतों का स्वागत है. इस अवसर पर अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में शहीद हुए भक्तों को आहुति दी जाएगी. यह उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी.