लखनऊ : प्रदेश सरकार की कार्यशैली से खफा राष्ट्रीय लोकदल के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया. लखनऊ में पार्टी के बड़े नेता एकत्रित हुए. कार्यकर्ता राष्ट्रीय लोकदल कार्यालय से जीपीओ तक पैदल मार्च करने के लिए निकले, हालांकि कार्यालय से चंद कदम की दूरी पर ही पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उनका रास्ता रोक लिया. इससे रालोद नेताओं और पुलिसकर्मियों में हल्की झड़प हो गई. तीखी नोकझोंक की भी नौबत आई. बैरिकेडिंग तोड़ने का आरएलडी कार्यकर्ताओं ने प्रयास किया, लेकिन बड़ी संख्या में मौजूद पुलिस बल ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अधिकारियों को सौंपा. चार सूत्रीय मांगें रालोद की तरफ से सरकार के सामने रखी गई हैं और इन पर तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है. यह भी चेतावनी दी गई है कि अगर जल्द समस्याओं का समाधान ना हुआ तो आरएलडी के कार्यकर्ता बड़ा आंदोलन करेंगे.
मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे कार्यकर्ता :चार सूत्रीय मांगों को लेकर ही राष्ट्रीय लोकदल के नेता और कार्यकर्ता मंगलवार को प्रदेश भर में सड़कों पर उतर पड़े. उनकी मांग थी कि गन्ने का लाभकारी मूल्य ₹450 प्रति कुंतल घोषित किया जाए और सभी बकाया गन्ना मूल्य का ब्याज सहित भुगतान किया जाए. आलू का समर्थन मूल्य घोषित किया जाए. केंद्र सरकार की तरफ से एथेनॉल पर लगाई गई रोक हटाई जाए. पांच वर्षों से भर्ती न होने से तमाम युवा इस उम्र को पार कर चुके हैं. उन्हें पुलिस भर्ती में उम्र सीमा में छूट दी जाए. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि 'गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर लगातार राष्ट्रीय लोक दल आवाज उठाता रहा है. वर्तमान सत्र में गन्ना पेराई मिलों में शुरू हो गई है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से गन्ने के दाम की घोषणा नहीं हुई है. महंगाई अपने चरम पर है. उसके बावजूद गन्ने की कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. किसान इकलौता ऐसा उत्पादक है जिसको अपने उत्पादन का मूल्य तय करने का भी हक नहीं है.'
नहीं मिल रहा फसल का लाभकारी मूल्य :उन्होंने कहा कि 'खून पसीने से कमाई हुई फसल को वह मिल मालिकों को देता जाता है, लेकिन उसको यही नहीं पता होता कि उसकी फसल का क्या मूल्य मिलेगा? कानून के अनुसार, 14 दिन में भुगतान करने की व्यवस्था है. ऐसा न करने पर ब्याज देने की अनिवार्यता है, जिसका कोई पालन ही नहीं किया जा रहा है. ब्याज की बात तो छोड़िए फसल का लाभकारी मूल्य भी नहीं दिया जा रहा है. यह सरकार किसानों के बारे में कुछ नहीं सोच रही है. यही नहीं नौजवानों का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है. युवाओं को पुलिस भर्ती में आयु की छूट देनी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने कोई छूट नहीं दी. जबकि कोरोना काल के साल ऐसे ही निकल गए. हरहाल में पुलिस भर्ती में युवाओं को छूट मिले जिससे उनका भविष्य सुधर सके. अयोध्या में दीपोत्सव से कुछ नहीं होगा जब युवाओं को रोजगार मिलेगा तो घर-घर में दीपोत्सव होगा. सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए.'