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लखनऊ: बुद्धिजीवियों ने न्यायपालिका और निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने पर दिया जोर

राजधानी में संविधान और आरक्षण विषय पर एक सेमिनार आयोजित की गई. इसमें मौजूद मीडिया व शिक्षा जगत की दिग्गज हस्तियों ने देश में आरक्षण की व्यवस्था में बदलाव किए जाने की बात कही.

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Published : Apr 14, 2019, 11:27 PM IST

लखनऊ में आरक्षण के विषय पर हुआ सेमिनार का आयोजन

लखनऊ: डॉ. भीमराव अबेंडकर के जन्मदिवस की वर्षगांठ के अवसर पर कैफी आजमी एकेडमी में एक सेमिनार का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कई जाने-माने पत्रकार और प्रोफेसरों ने हिस्सा लिया. इस दौरान देश की न्यायपालिका और निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने की जरूरत पर जोर दिया गया.

लखनऊ में आरक्षण के विषय पर हुआ सेमिनार का आयोजन.
कार्यक्रम की मुख्य बातें
  • समाजवादी चिंतक अब्दुल हफीज गांधी ने की कार्यक्रम की मेजबानी
  • वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सीय मंडल, शंभू कुमार सिंह और प्रो. खालिद अनीस अंसारी समेत कई दिग्गज बुद्धिजीवियों ने लिया हिस्सा
  • दलितों और पिछड़ों को उच्च न्यायपालिका (हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट) में आरक्षण दिए जाने की वकालत
  • निजी क्षेत्र में भी जातिगत आरक्षण लागू करने की पैरवी
  • देश में जातिगत आधार पर जनगणना कराने और इससे संबंधित आंकड़ों को सार्वजनिक किए जाने की दिशा में भी काम करने की जरूरत
  • विभिन्न राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में इन क्षेत्रों में आरक्षण देने की घोषणाओं का किया गया स्वागत

भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार प्राप्त है. इसके अलावा शासन व्यवस्था में पारदर्शिता को सबसे अहम तत्व माना गया है. इसके बावजूद न्यायपालिका निजी स्तर पर पारदर्शिता का सिद्धांत लागू करने के लिए तैयार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अपने रजिस्ट्री कार्यालय को तो सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत लाने के लिए तैयार हैं, लेकिन वह अपने कार्यालय के कामकाज को इस कानून के दायरे में लाने के लिए तैयार नहीं हैं.
- अब्दुल हफीज गांधी, आयोजक

उच्च न्याय व्यवस्था और निजी क्षेत्रों में आरक्षण की सख्त जरूरत है. जब तक इन दोनों क्षेत्रों में आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा तब तक समाज उत्थान के लिए अपनाए गए इस शस्त्र का प्रयोग निरर्थक ही रहेगा. इसके साथ ही जाति पर आधारित जनगणना की व्यवस्था की जानी चाहिए. जो राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में इसे समर्थन दे रहे हैं, उनकी सराहना की जानी चाहिए.
- दिलीप सी मंडल, वरिष्ठ पत्रकार

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