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राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के चार विभागों की मान्यता रद, पीजी की सीटों पर खतरा - Prof Mahesh Narayan

टूडियागंज स्थित राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय (Government Ayurvedic College and Hospital) के चार विभागों की मान्यता रद (Recognition canceled) कर दी गई है. जिससे पीजी की सीटों पर खतरा (Danger on PG seats) मंडराने लगा है. हालांकि काॅलेज के प्राचार्य ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही है.

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Published : Nov 7, 2022, 12:38 PM IST

लखनऊ : टूडियागंज स्थित राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के चार विभागों की मान्यता रद कर दी गई है. जिससे पीजी की सीटों पर खतरा मंडराने लगा है. हालांकि काॅलेज के प्राचार्य ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही है. दरअसल, भारत सरकार के नेशनल कमीशन फॉर इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन की टीम (National Commission for Indian System of Medicine team) ने राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय का निरीक्षण किया था. इसके बाद काॅलेज में मौजूदा संसाधनों व व्यवस्थाओं का पूरा ब्योरा एकत्र किया था. बताया जा रहा है कि शिक्षकों की संख्या काॅलेज में मानक के अनुरूप न मिलने पर चार विभागों रचना शारिर, क्रिया शारिर, कौमारभृत्य व आयुर्वेद संहिता और सिद्धांत विषय के चार विभागों की मान्यता रद्द करने की बात सामने आ रही है.

राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के प्राचार्य डॉ. पीसी सक्सेना (Principal of Government Ayurvedic College and Hospital Dr. PC Saxena) ने बताया है कि हमें चार विषयों की मान्यता नहीं मिली है. इसके लिए शासन स्तर पर बात करेंगे. उसके बाद एनसीआईएसएम से अपील करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारे पास पीजी कोर्स के लिए प्रोफेसर व एडिशनल लेक्चरार हैं. इसके अलावा संविदा पर भी शिक्षक रखने के लिए शासन स्तर पर कार्रवाई जारी है। निरीक्षण के बाद हमें यूजी 75 सीटें मिली हैं. इसके अलावा कय चिकित्सा, द्रव्य गुण, रस शास्त्र तथा प्रसूति विभाग की मान्यता मिल गई है.

राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के प्रो. महेश नारायण (Government Ayurvedic College and Hospital Prof. Mahesh Narayan) ने बताया कि पीजी के स्टूडेंट की उपस्थिति में अस्पताल के संचालन में आसानी रहती है. इंडोर में जो भी मरीज आते, इलाज के सभी तरीकों को पीजी स्टूडेंट को सीखने का मौका मिलता है. वह एक फैकल्टी के रूप में निकलते हैं और समाज को अपनी सेवाएं देते हैं. एनसीआईएसएम को मान्यता को रद करने के मामले में दोबारा विचार करने की जरूरत है.

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