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...तो इसलिए बरी हो गए कृष्णानंद राय हत्याकांड के सभी आरोपी

बुधवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड के सभी आरोपियों को बरी कर दिया. अदालत में कृष्णानंद राय के वकील कोर्ट में यह साबित नहीं कर सके कि सभी आरोपी घटना के दौरान मौजूद थे. बरी आरोपियों में से मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या कर दी गई थी. इस घटना को साल 2005 में अंजाम दिया गया था.

ओपी श्रीवास्तव, वकील.

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Published : Jul 3, 2019, 11:40 PM IST

लखनऊ:स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के सभी आठ आरोपियों को बरी कर दिया है. इस दिल दहला देने वाली घटना को साल 2005 में अंजाम दिया गया था. कृष्णानंद राय के वकील नामजद और जांच के दौरान प्रकाश में आए आरोपियों के खिलाफ सबूत उपलब्ध नहीं करा सके.

ईटीवी भारत से बातचीत करते वकील ओपी श्रीवास्तव.
मुन्ना बजरंगी की जेल में कर दी गई हत्या-
  • बहुचर्चित हत्याकांड का फैसला भी लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है.
  • घटना के आरोपी संजीव महेश्वरी, एजाज उल हक, मुख्तार अंसारी, अफज़ल अंसारी, राकेश पांडे, रामू मल्लाह, मंसूर अंसारी, मुन्ना बजरंगी थे.
  • इस सभी को बुधवार को बरी कर दिया गया है.
  • आठ आरोपियों में से मुन्ना बजरंगी की पिछले दिनों जेल में हत्या कर दी गई थी.

मुन्ना बजरंगी और राकेश पांडे के वकील ओपी श्रीवास्तव के अनुसार,

  • कृष्णानंद राय के भाई राम नारायण राय व ब्रजेश राय की गवाही को कोर्ट ने नहीं माना.
  • कृष्णानंद राय के वकील कोर्ट में यह साबित नहीं कर सके कि सभी आरोपी घटना के दौरान मौजूद थे.
  • लिहाजा कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
  • कृष्णानंद राय की हत्या के दौरान दो गाड़ियां मौजूद थी.
  • आगे चल रही गाड़ी में कृष्णानंद राय, उनका गनर, ड्राइवर और चार अन्य लोग मौजूद थे.
  • इस घटना में कृष्णानंद राय, उनके ड्राइवर और गनर सहित अन्य 4 लोग भी मारे गए थे.
  • पीछे गाड़ी में उनके भाई राम नारायण राय व चचेरे भाई बृजेश कुमार राय मौजूद थे.
  • जब गोलियां चलने लगी तो पीछे गाड़ी में मौजूद कृष्णानंद राय के भाई वहां से भागे.
  • भाग कर थोड़ी दूर पर छिप गए, जहां से उन्होंने घटना को देखा.

कृष्णानंद राय के दोनों भाई राम नारायण राय और बृजेश कुमार राय का कोर्ट में यह कहना था कि उन्होंने आरोपियों को गोली चलाते हुए देखा है. लेकिन दोनों भाई यह साबित नहीं कर सके कि घटना के दौरान वो मौके पर मौजूद थे. दूसरी गाड़ी में मौजूद अन्य लोगों ने कोर्ट में यह तो बताया कि टाटा सुमो गाड़ी से आए हुए कुछ लोगों ने एके 47 गाड़ी से फायरिंग शुरू की लेकिन वह कौन लोग थे यह साबित नहीं कर सके.
-ओपी श्रीवास्तव, वकील

सुनवाई के दौरान यह रहे अहम बिंदु-

  • कृष्णानंद राय के भाई राम नारायण राय व बृजेश कुमार राय की गवाही को कोर्ट में नहीं माना.
  • दोनों भाई कोर्ट में साबित नही कर पाए कि घटना के दौरान वह मौके पर मौजूद थे.

शशीकांत का नाम एफआईआर में शामिल न होना-
जिस समय घटना को अंजाम दिया गया, उस समय पूर्व विधायक पीछे चल रही दूसरी गाड़ी में मौजूद शशिकांत के साथ गांव से एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन कर वापसी कर रहे थे. इस घटना में शशीकांत को भी गोली लगी थी. लेकिन कृष्णानंद राय के भाई की ओर से लिखाई गई एफआईआर में शशिकांत का नाम शामिल नहीं किया गया. यहीं नहीं, घटना के तुरंत बाद पुलिस को भी इसकी सूचना नहीं दी गई थी.

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