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चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की मांग, आरएलडी ने दी 26 दिसंबर को लखनऊ में घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन की चेतावनी

यूपी में गन्ना मूल्य बढ़ाने और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की मांग समेत कई मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय लोकदल की ओर से लगातार जोर दिया जा रहा है. रालोद ने चेतावनी दी है कि इन मुद्दों का जल्द समाधान न होने पर 26 दिसंबर को लखनऊ में घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन शुरू किया जाएगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 22, 2023, 5:26 PM IST

लखनऊ : राष्ट्रीय लोकदल प्रदेश सरकार से लगातार गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार मौन साधे हुए है. अगर 23 दिसम्बर को चौधरी चरण सिंह की जयन्ती तक गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाया गया और बकाया भुगतान नहीं हुआ तो राष्ट्रीय लोकदल के पदाधिकारी और कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह के नेतृत्व में 26 दिसम्बर को लखनऊ में घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन करेंगे. इसके तहत प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा. यह जानकारी आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने शुक्रवार को मीडिया से साझा की.







हवाई साबित हुआ गन्ना बकाया भुगतान का वादा :आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने चुनाव में वादा किया था कि गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिन के अन्दर मिलों ने नहीं किया तो उन्हें ब्याज सहित भुगतान करना पड़ेगा, लेकिन आज तक न तो कोई कानून इस पर बना और न ही मिल मालिकों पर किसी प्रकार का दबाव बनाकर इसे लागू किया गया. गन्ना किसान गन्ना मिलों पर गन्ना गिराकर अपने खेतों में रबी फसलों की बुवाई करता है जब मिलें जल्दी चलती हैं तो वह खेत खाली कर गेहूं, आलू, सरसों की बुवाई कर देता है. इस वर्ष जानबूझ कर मिलों को देरी से चलाया. जिसके कारण किसानों की रबी की बुवाई समय पर नहीं हो पाई. जिसके कारण किसान परेशान हैं. सरकार किसानों की बात सिर्फ चुनाव के समय में करती है उनका वोट लेती है और बाद में मिल मालिकों के साथ मिलकर किसानों का शोषण करने लगती है. आज भी किसानों का गन्ना मिलों पर लगभग पिछले वर्ष का ही भुगतान 800 करोड़ से ज्यादा है जिससे किसान बेहद परेशान है.

यूपी सरकार के सभी वादे अधूरे : आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय के अनुसार वर्तमान पेराई सत्र देर से चलने और समय सीमा के अंदर भुगतान नहीं होे पाने के कारण किसान अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है. प्रदेश में गन्ना, आलू ही प्रमुख रूप से व्यापारिक फसल है लेकिन गन्ना और आलू पर सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं होने के कारण गन्ना और आलू के किसान परेशानी और बदहाली के शिकार हैं उनको फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है. प्रदेश सरकार किसानों को आत्मनिर्भर और आमदनी दोगुना करने के सब्जबाग दिखाती है, लेकिन उसकी नीति और नीयत किसानों पर कहर बरपाने की है. किसान आन्दोलन के दौरान केंद्र सरकार ने अनेक वादे किए थे. जिसमें एमएसपी पर कानून बनाकर किसान की उपज का लाभकारी मूल्य का मार्ग प्रशस्त करना, आन्दोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लिये जाने, आन्दोलन के दौरान शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा देना, स्वामीनाथन कमेटी को पूर्णतया लागू करने की बात कही गई थी जो सभी वादे आज तक पूरे नहीं किए.



उत्पादन लागत बढ़ी, लेकिन दाम नहीं :आरएलडी अध्यक्ष ने कहा कि गन्ना किसानों को गन्ना उत्पादन में लागत पिछले चार वर्षो में डेढ गुना बढ़ गई है, लेकिन केन्द्र सरकार ने गन्ना मूल्य में मात्र 10 रुपये की वृद्धि की है जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. प्रदेश सरकार से उम्मीद थी कि वह उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को अन्य राज्य की तरह गन्ना मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक करेगी, लेकिन प्रदेश सरकार मूकदर्शक की भूमिका में है और मिल मालिक की मर्जी पर किसान को छोड़ दिया है.

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