लखनऊ :मैनपुरी उपचुनाव के बाद समाजवादी पार्टी का यादव परिवार अब पूरी तरह से एक हो गया है. शिवपाल सिंह यादव अखिलेश यादव के साथ आ गए हैं. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय हो चुका है. शिवपाल सिंह यादव ने एक बार फिर समाजवादी पार्टी का झंडा थाम लिया है (Shivpal Yadav with Akhilesh yadav). सूत्रों का कहना है इस बदले घटनाक्रम से रामगोपाल यादव सहज नहीं हैं. हालांकि अखिलेश के फैसले पर वह फिलहाल चुप हैं.
समाजवादी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि यादव परिवार में बिखराव के पीछे सबसे बड़ा कारण रामगोपाल यादव ही रहे हैं. शिवपाल यादव के पार्टी छोड़ने के बाद डॉ. रामगोपाल यादव अखिलेश के प्रमुख सलाहकार रहे. अब अखिलेश यादव ने रामगोपाल यादव को बहुत ज्यादा तवज्जो देना बंद कर दिया है. मैनपुरी उपचुनाव में जीत के बाद अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह यादव का सम्मान करते हुए उनकी पार्टी प्रसपा का समाजवादी पार्टी में विलय करा लिया. मैनपुरी में जीत के बाद डॉ. राम गोपाल यादव ने ट्विटर के माध्यम से जनता को बधाई दी, लेकिन शिवपाल सिंह यादव की पार्टी के विलय पर प्रतिक्रिया नहीं दी. उन्होंने किसी मंच पर शिवपाल यादव के पार्टी में लौटने का सार्वजनिक तौर पर न तो स्वागत किया और न ही विरोध. वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन कहते हैं कि शिवपाल सिंह यादव के समाजवादी पार्टी में अब पूरी तरह से आने के बाद रामगोपाल से नाराजगी जैसा भाव अब नहीं दिख रहा है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं, वही सारे फैसले करते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि देखिए रामगोपाल यादव की अभी तक पार्टी में हैसियत नंबर दो की थी. वह अपना यूपी के साथ-साथ दिल्ली में मैनेजमेंट की पूरी कोशिश करते थे. जब शिवपाल यादव की पार्टी में वापसी हो गई है और जिस तरीके से चाचा और भतीजे में तालमेल नजर आ रहा है उससे रामगोपाल यादव की पकड़ पार्टी में कमजोर पड़ेगी. वैसे पहले सपा के नेताओं का मानना था कि रामगोपाल यादव ने पार्टी को कमजोर किया है . यादव परिवार और पार्टी में मतभेद खुलकर सामने आए थे, उसमें रामगोपाल यादव की बड़ी भूमिका मानी जाती थी. अब जब शिवपाल सिंह यादव पार्टी में आ गए हैं तो रामगोपाल यादव जाहिर तौर पर कमजोर होंगे. उनके करीबी नेताओं की हैसियत कम होगी.
शिवपाल संगठन के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. मुलायम सिंह यादव को जब भी कुछ बड़ा निर्णय लेना होता था या कोई राजनीतिक उलटफेर की चीजें आती थी तो उसमें शिवपाल सबसे कारगर साबित होते थे. यह भी माना जाता था कि नेताजी के बाद समाजवादी पार्टी में सबसे ज्यादा मजबूत पकड़ है. राजनीतिक रूप से परिपक्व नेता के रूप में शिवपाल सिंह यादव की पहचान मानी जाती है. साथ ही बीते दिनों मैनपुरी चुनाव में शिवपाल सिंह यादव कार्यकर्ताओं के साथ पूरी तरह से खड़े रहे. वह ब्लॉक प्रमुख को थाने से छुड़ाकर साबित कर दिया कि समाजवादी पार्टी अपने पुराने रंग में शिवपाल के साथ कदमताल करती हुई नजर आएगी. इससे स्वाभाविक रूप से रामगोपाल यादव खुश नहीं होंगे और असहज भी होंगे.