लखनऊ : प्रदेश की भाजपा सरकार उद्योगों के अनुकूल माहौल बनाने के लिए कई तरह के कदम उठा रही है. सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों से यह पता चलता है कि सरकार प्रदेश में निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने के लिए कितनी गंभीर है. इसी वर्ष फरवरी माह में राजधानी लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय ग्लोबल इनवेस्टमेंट समिट में 33 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे. इसके बाद आलोचक यह कहने लगे थे कि इन प्रस्तावों को धरातल पर उतारना सरकार के लिए आसान नहीं होगा. हालांकि सरकार अब ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी की तैयारी में है और उद्योगों के अनुकूल माहौल बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने के साथ ही पर्याप्त लैंड बैंक का भी प्रबंध कर रही है.
मंगलवार को प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में निर्णय लिया कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि के आवासीय, व्यावसायिक और औद्योगिक उपयोग के लिए परिवर्तन में लगने वाली एक प्रतिशत स्टाम्प शुल्क खत्म कर दी है. अब भू उपयोग परिवर्तन के लिए केवल एक प्रतिशत पंजीकरण शुल्क और 50 रुपये उद्घोषणा शुल्क ही देना होगा. यही नहीं कैबिनेट ने सार्वजनिक उपयोगिता की भूमि के आदान-प्रदान और श्रेणी परिवर्तन की अनुमति का अधिकार मंडलायुक्त को दे दिया है. अब तक इसकी मंजूरी के लिए शासन की अनुमति लेनी पड़ती थी. अब चरागाह, तालाब, खलिहान, शमशान आदि की आरक्षित भूमि पर उद्योगों की स्थापना आसानी से की जा सकेगी. भू उपयोग परिवर्तन में स्टाम्प शुल्क खत्म करने से अब उद्यमियों को आसानी होगा और उनका पैसा भी बचेगा. पहले इसके लिए बड़ी राशि खर्च करनी होती थी.