लखनऊ:डाक टिकटों की कीमत जाननी हो तो राजधानी के डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन से मिलिए. डॉ. गोडिन के पास सदियों पुराने डाक टिकटों का खजाना है. इन पुराने डाक टिकटों की कीमत पूछे जाने पर वह कहते हैं कि इन टिकटों का कोई मोल नहीं है, यह टिकट अनमोल हैं. डॉ. गोडिन को यह डाक टिकट सहेजने का जुनून विरासत में मिला है. पिता और दादा का शौक था, जो आज डॉ. गोडिन आगे बढ़ा रहे हैं.
देश का पहला डाक टिकट
डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन के पास सन् 1852 में जारी किया गया पहला डाक टिकट 'सिड डाक' है. लाल, सफेद और नीले रंग के इस टिकट पर उभरी हुई आकृति को छूकर आप महसूस कर सकते हैं. वर्तमान समय में इनकी कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये और जो टिकट इस्तेमाल नहीं किए गए हैं, उनकी कीमत 12 लाख रुपये तक है. डॉ. गोडिन के पास 1854 के और भी डाक टिकट हैं. इन टिकटों के दाम उस समय आधा आना, एक आना, दो आना और चार आना हुआ करते थे.
आजाद हिंद फौज के डाक टिकट भी हैं मौजूद
प्रोफेसर डॉ. गोडिन के पास 1943 में जर्मनी के बर्लिन में छपे आजाद हिंद फौज के डाक टिकटों का भी संग्रह है. वह बताते हैं कि इनका प्रयोग नहीं हो सका था. 1964 में किसी कलेक्टर ने एक बार इनका इस्तेमाल किया था. 10 अलग-अलग मूल्यों और पांच डिजाइन के इन टिकटों को जर्मन आर्टिस्ट वेतनर और मारिया ने डिजाइन किया था.