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प्रोफेसर डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन ने संजो कर रखे हैं बेशकीमती 'डाक टिकट' - पुराने डाक टिकट

राजधानी लखनऊ में रहने वाले वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन के पास सदियों पुराने डाक टिकटों का खजाना है. डॉ. गोडिन ने विरासत में मिले डाक टिकटों को सहेज कर रखा है. पिता और दादा के शौक को आगे बढ़ाते हुए उनके पास सन् 1852 में जारी किया गया पहला डाक टिकट 'सिड डाक' रखा है.

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ईटीवी भारत से बातचीत करते वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन.

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Published : Jan 28, 2020, 10:08 AM IST

लखनऊ:डाक टिकटों की कीमत जाननी हो तो राजधानी के डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन से मिलिए. डॉ. गोडिन के पास सदियों पुराने डाक टिकटों का खजाना है. इन पुराने डाक टिकटों की कीमत पूछे जाने पर वह कहते हैं कि इन टिकटों का कोई मोल नहीं है, यह टिकट अनमोल हैं. डॉ. गोडिन को यह डाक टिकट सहेजने का जुनून विरासत में मिला है. पिता और दादा का शौक था, जो आज डॉ. गोडिन आगे बढ़ा रहे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन.

देश का पहला डाक टिकट
डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन के पास सन् 1852 में जारी किया गया पहला डाक टिकट 'सिड डाक' है. लाल, सफेद और नीले रंग के इस टिकट पर उभरी हुई आकृति को छूकर आप महसूस कर सकते हैं. वर्तमान समय में इनकी कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये और जो टिकट इस्तेमाल नहीं किए गए हैं, उनकी कीमत 12 लाख रुपये तक है. डॉ. गोडिन के पास 1854 के और भी डाक टिकट हैं. इन टिकटों के दाम उस समय आधा आना, एक आना, दो आना और चार आना हुआ करते थे.

आजाद हिंद फौज के डाक टिकट भी हैं मौजूद
प्रोफेसर डॉ. गोडिन के पास 1943 में जर्मनी के बर्लिन में छपे आजाद हिंद फौज के डाक टिकटों का भी संग्रह है. वह बताते हैं कि इनका प्रयोग नहीं हो सका था. 1964 में किसी कलेक्टर ने एक बार इनका इस्तेमाल किया था. 10 अलग-अलग मूल्यों और पांच डिजाइन के इन टिकटों को जर्मन आर्टिस्ट वेतनर और मारिया ने डिजाइन किया था.

लेटेस्ट डाक टिकट भी मौजूद
प्रोफेसर गोडिन बताते हैं कि उनके पास एकदम लेटेस्ट डाक टिकट भी हैं. इन टिकटों की खास बात यह है कि उनकी आकृति सबसे अलग है. इन टिकटों को उन्होंने दिल्ली से खरीदा है.

यूपी विधानसभा के सदस्य भी हैं गोडिन
प्रोफेसर डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन भारतीय कोटे से उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य और लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज में वनस्पति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर हैं. इनके पास बेशकीमती डाक टिकटों का संग्रह है. डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन के पास मौजूद डाक टिकटों के संग्रह को देखकर हर कोई हैरान हो जाए.

डाक टिकट सहेजने का जुनून विरासत में हमें मिला है. मेरे पिता और दादा को भी इसका शौक था, जिसको हम अब आगे बढ़ा रहे हैं. देश का पहला डाक टिकट मेरे पास है, जो सन् 1852 में जारी किया गया था. लाल, सफेद और नीले रंग के इस टिकट पर खुरदरी आकृति को छूकर आप महसूस कर सकते हैं. वर्तमान समय में इनकी कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये और जो टिकट इस्तेमाल नहीं किए गए हैं, उनकी कीमत 12 लाख रुपये तक है.
-डॉ. डेंजिल जॉन गोडिन, प्रोफेसर वनस्पति विज्ञान

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