लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बस बेड़े में रोडवेज बसों के साथ ही बड़ी संख्या में अनुबंधित बसें शामिल हैं. इन्हीं बसों के सहारे यूपीएसआरटीसी दूरदराज के क्षेत्रों को बस सेवा से सेवित करता है. नई-नई अनुबंध पॉलिसी लाकर प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को निगम के साथ अनुबंध के लिए आकर्षित किया जाता है. परिवहन निगम के करीब 12 हजार बसों के बेड़े में 2200 से ऊपर अनुबंधित बसें संचालित हो रही हैं, हालांकि रोडवेज के साथ अनुबंध पर बसों का संचालन कर रहे बस मालिकों को इन दिनों काफी दिक्कतें हो रही हैं. उनकी शिकायत है कि परिवहन निगम बसों का अनुबंध कराते समय तमाम तरह के प्रलोभन देता है, लेकिन जब अनुबंध हो जाता है उसके बाद अपने वादे से ही मुकर जाता है. इससे अनुबंधित वाहन मालिकों को काफी दिक्कतें होती हैं. उत्तर प्रदेश अनुबंधित बस ओनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने "ईटीवी भारत" से अनुबंध पर संचालित बसों में आ रही समस्या को लेकर अपनी राय जाहिर की है.
क्या कहते हैं बस स्वामी : प्राइवेट बस मालिकों की हजारों बसें उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में अनुबंध पर संचालित हो रही हैं, लेकिन समय पर भुगतान न होने, बार-बार अनुबंध की शर्तों को बदलने, परिचालक के अभाव में बसों के कैटलमेंट, प्रशासनिक शुल्क और सुपरविजन से परेशान हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष और बस मालिक एसपी सिंह, एसोसिएशन के संयोजक और बस मालिक राकेश बाजपेई, अनुबंधित बस ओनर्स एसोसिएशन के महामंत्री और बस मालिक अजीत सिंह के अलावा प्राइवेट बस स्वामी नदीम खान का कहना है कि 'परिवहन निगम प्रशासन की अनुबंध नीति तो अच्छी है, लेकिन बसों के संचालन में तमाम तरह की समस्या आ रही है. बस मालिकों का कहना है कि हमारी कोई गलती ना भी हो तब भी भुगतना हमें ही पड़ रहा है. रोडवेज में परिचालकों की कमी है ऐसे में अगर परिचालक नहीं मिलता है तो भी हमारे ही भुगतान में कटौती कर ली जाती है, इसमें भला अनुबंधित बस मालिक की क्या गलती है. इतना ही नहीं तमाम रूटों पर बस संचालन करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. रूट बदलने की मांग की जाती है तो उस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता. एक्सप्रेस वे पर अनुबंधित बसों के संचालन पर रोक लगा दी, इससे भी काफी घाटा हो रहा है. जब अनुबंध कराते हैं तो लालच देते हैं इन रूटों पर बसें संचालित होंगी, लेकिन जब अनुबंध हो जाता है तो अपने वादे से ही अधिकारी पीछे हट जाते हैं.'